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17 Oct 2020 · 1 min read

हर ख़ुशी दूर मुझसे जाती है

मेरी किस्मत भी आज़माती है
हर ख़ुशी दूर मुझसे जाती है

ये शिकायत है वक़्त से मुझको
हर घड़ी ग़म को ले के आती है

तेरे जलवों का अक्स है दिल में
इक यही बात बस जिलाती है

दीप ख़ाली है रौशनी कैसी
पास में तेल है न बाती है

जबकि सागर है सामने फिर भी
प्यास अपना असर दिखाती है

जब कभी हम उदास होते हैं
ज़िन्दगी कहकहे लगाती है

जीत लेंगे वो प्यार की बाज़ी
चाल उनको हरेक आती है

हम सताये हुये ज़माने के
आपकी याद भी सताती है

है अंधेरा नसीब में ‘आनन्द’
रौशनी आ के लौट जाती है

– डॉ आनन्द किशोर

2 Likes · 187 Views
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