हर सवाल का जवाब रखा है
हर सबाल का जवाब रखा है
चेहरा खुली किताब रखा है।
अँधेरे कहीं छुपकर बैठ गये
सामने जो आफताब रखा है।
गुनाहों को किस से छुपा रहे हो
उसने तो सब हिसाब रखा है।
मुझे तेरी दीद मयस्सर हो कभी
आँखों में एक ख्वाब रखा है।
पलकों पर तो चन्द कतरे हैं ‘अर्श’
मगर दिल में एक सैलाब रखा है।