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23 Aug 2017 · 1 min read

हर मर्द जल्लाद नहीं होता

हर आदमी भेडिया और बाझ नहीं होता
इस जहाँ का हर मर्द जल्लाद नहीं होता
माना कुछ है हैवान जो करते है हैवानियत
अपने कुकर्मों से शर्मसार करते हैं इंसानियत
किन्तू सब उनके जैसे घाघ नहीं होता
इस जहाँ का हर मर्द जल्लाद नहीं होता।
हर दिन मर्दों पर इल्जाम लगाया जाता हैं
मौका दर मौका हैवान बताया जाता है
सबके नीयत में खोट मन में पाप नहीं होता
इस जहाँ का हर मर्द जल्लाद नहीं होता।
औरत और मर्द इस जहाँ की धुरी है
इनके असतित्व से ही यह सृष्टि पूरी है
बीना एक दुजे इस जग का निर्माण नहीं होता
इस जहाँ का हर मर्द जल्लाद नहीं होता।
राम बीना यहाँ सीता की चर्चा भी अधुरी है
कृष्ण अगर जो ना हुये राधा भी कहा पूरी हैं
बीना राम यहाँ सीता का पहचान नहीं होता
इस जहाँ का हर मर्द जल्लाद नहीं होता।
कही पिता कहीं पुत्र कहीं भाई बन जाता है
खुद को भुल जाता किन्तु हर फर्ज निभाता है
हर दिन चोट खाता किन्तु उसे दर्द का एहसास नहीं होता
इस जहाँ का हर मर्द जल्लाद नहीं होता।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
9560335952
23/8/2017

Language: Hindi
256 Views
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