हर तरफ वो बहार कर आये
हर तरफ वो बहार कर आये
खार हमको नहीं नज़र आये
यादों की वादी से गुज़र आये
अश्क आंखों में कितने भर आये।
चाहतों को नहीं मिली मंज़िल
दूर तक कर भी हम सफर आये
देख उनको मिली खुशी लेकिन
दर्द भी चेहरे पे उभर आये
दिल को बहलाने के लिये हम तो
घूम ही बस इधर उधर आये
तोड़ सब नाते अपने, सीमा पर
वीर कुर्बान जान कर आये
कहने आये थे बात वो दिल की
पर नज़र कांपते अधर आये
‘अर्चना’ रह गये अधूरे जो
उनके ही सपने रात भर आये
डॉ अर्चना गुप्ता
05-12-2017