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5 Dec 2018 · 1 min read

हर गम

जिंदगी मे सभी को हंसता हंसाता रहा हूॅ मै
हर गम को हर दम अपने छुपाता रहा हूॅ मै

ओर भी गम है जमाने मे मुहब्बत के सिवा
सभी को दोस्तो ये बात समझाता रहा हूॅ मै

इस वक्त को या खुद को इल्जाम क्या दूँ मै
जिम्मेदारीयों मे चाहत को दबाता रहा हूॅ मै

धूप बारिश सर्दी-गरमी बेपरवाह गुजारे है
इस दिल को हर वक्त पत्थर बनाता रहा हूॅ मै

गमो का अपने जो हिसाब करने बैठ गया मै
उसका ओर अपनो का नाम मिटाता रहा हूॅ मै
Mohan Bamniya

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