17 रागनी हरिद्वार में टोहवण खातिर तनै देशी बामण आया.. लेखक मनजीत पहासौरिया
पीकै भंगिया कित सौवै भोले , ना मनैं कति पाया,
हरिद्वार में टोहवण खातिर तनै देशी बामण आया..!!टेक!!
तेरी खटक में आया सूं मैं , घर कुणबे तै लड़कै नै,
सारै लिया तूँ देख घूमकै और गंगा जी में बड़कै नै,
नीलकंठ भी छड़कै गेरया , दुख पाली सै काया..!!१!!
हरिद्वार में टोहवण खातिर तनै देशी बामण आया..!!टेक!!
तेरी खातिर भांग पकोड़े और चिलम लेहरया गांजे की,
मेरे तैं न्यू दूर सै भोले जणू , हीर खूरी रांझे की,
बीड़ी बण री सांझ की ना , एक भी सुट्टा लाया..!!२!!
हरिद्वार में टोहवण खातिर तनै देशी बामण आया..!!टेक!!
हार थककै बैठ गया मैं , चिलम आपे पीली या,
मनजीत पहासोर आला कहवै , धरती एकदम हिली या,
फेर शरूर गेल्याँ धोरै दिखै , होग्या मन का चाह्या..!!३!!
हरिद्वार में टोहवण खातिर तनै देशी बामण आया..!! टेक!!
रचनाकार:- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं:-9467354911
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