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12 Jun 2021 · 1 min read

हम भी पगला से गये

कह गया तू कर इबादत वो ख़ुदा माही मेरा
रुख बदल कर चल पड़ा वो जो अनन्त आदी मेरा

छोड़ दी पतवार मैंने बस इसी उम्मीद पर
थाम लेगा आके मुझको जो बना साथी मेरा

काग़ज़ों की कश्तियों पर चल पड़ी मंज़िल को ओर
रह गया भौचक्का सागर, देख कर मांझी मेरा

झूम कर कहतीं घटाएँ हम भी पगला से गये
तब मचलती लहर बोली खेल बाकी है मेरा

चाँदनी भी चाँद से करने लगी जब गुफ्तगू
नाचती आयी पवन वो गीत गाती है मेरा

©® Dr. Pratibha ‘Mahi’

3 Likes · 1 Comment · 465 Views
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