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4 Feb 2018 · 1 min read

हम बेटियाँ

हम नन्ही-नन्ही सी कलिकाएं।
हर बगिया को हम ही महकाएं।
जहाँ रख दें कदम भये उजियारा।
हर आँगन को हम ही चहकाएं।

आज स्थिति कुछ संवरी है अपनी।
कुछ घरों ने मांगी मन्नत है अपनी।
हम जो नही तो घर ही नही है।
ये बात कई जन समझ न पाएं।

समृद्धि भी हम से ही आए।
कहीं दुर्गा कहीं श्री कहाएं।
जहाँ हो सत्कार हृदय से अपना।
वह घर भी मन्दिर ही कहाए।

निज स्वार्थ को हमे मत पालो तुम।
बस थोडी जगह हृदय में दो तुम।
नही चाह मुझे किसी दौलत की ।
मुझे बस जीने का हक दो तुम।

बस जीने का हक दो तुम।…..
बस जीने का हक दो तुम।…..

सुधा भारद्वाज’निराकृति’
विकासनगर उ०ख०

Language: Hindi
376 Views
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