हम ने तेरी चाहत में खुद को सजा के रखा है
हम ने तेरी चाहत में खुद को सजा के रखा है
झुमके-बाली, कंगना बिंदिया लगा के रखा है
आओगे उम्मीद नहीं है फिर भी आश लगा के रखा है
तेरे आने के आश में प्रीतम खुद को खूब सजा के रखा है
भूख लगी होगी तुम को यही सोच खीर बना के रखा है
मोहल्ले के बच्चों से उसका मीठा भी हमने चखा के रखा है।
रात के आंगन में हमने चाँद को पहरे पे बिठा के रखा है।
…पुर्दिल