“हम तो सृजन के राही”
टटोलिए हमारी जेबों को ,
हमें आनंद आएगा।
अफसोस पर आपको,
रुपयों का बंडल नहीं मिल पाएगा ।
हम तो सृजन के राही हैं जनाब,
जेबों में हमारी सुविचारों का,
साहित्य नजर आएगा।।
पढ़ सको तो पढ़ लेना,
मन करे अंतस में उतार लेना।
बीतेगा जीवन सुकून से ,
जीने का आनंद आएगा ।।
असमंजस में न रहना,
मुझसे लिया औरों को देना ।
जन जन का पथ तो यारों,
फिर उसी और जाएगा।।
धन कमाओ नाम कमाओ,
कहां मना है।
पर समझो आखिर यह जीवन,
क्यों बना है।
“अनुनय” ने तो सृजन राह चुनी,
जीवन भर अपनाएगा ।।
राजेश व्यास अनुनय