हम तो, बड़े भ्रष्ट हुए जी l २ / १०
हम तो, बड़े भ्रष्ट हुए जी l
माया में, मदमस्त हुए जी ll
गाली गलोच, का संसार l
नेताओं का, बना आधार ll
झूठ, कपट, का विस्तार ।
अभद्र चरित्र, प्रकार प्रकार ll
ताकतवर, झटपट हुए जी l
समाज पर, कष्ट हुए जी ll
रहा गुंडों का, अधिकार l
जीते, कर कर अत्याचार l l
पल पल, प्यास का प्रसार ।
जनता, भीतर अन्धकार ।।
झूठ से सहमत, झटपट हुए जी l
खुद आतंकी बन, प्रकट हुए जी ll
हम तो, बड़े भ्रष्ट हुए जी l
माया में, मदमस्त हुए जी ll
अरविन्द व्यास “प्यास”