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30 Apr 2017 · 1 min read

हम तलाशे यार में दर दर भटकते ही रहे

यह भी ना देखा कहां कैसे भटकते ही रहे।
जुस्तजू ए यार में आगे को बढते ही रहे।

आज तक रंजो अलम के और कुछ पाया नहीं
हम तलाशे यार में दर दर भटकते ही रहे

????????????
जब शहादत सरहदों पर अपने बेटों की सुनी
अश्क़ आंखों से लहू बन के टपकते ही रहे
?????????????
जो शहादत दे चुके हैं उन शहीदों को मिरी,
है सलामी अम्न की खातिर जो लड़ते ही रहे
????????????
देख कर अपने ग़मों को इस क़दर क्यूं रो रहा
गुल तो खारों में भी रहकर देख हंसते ही रहे
?????????????
इक नज़र मुझ पर भी कर दे ऐ मिरी जाने जहां,
देख कर जल्वा तिरा हर पल तङपते ही रहे
?????????????
दे दिया सारा समंदर सबके हिस्से में मगर,
उम्र भर हम एक कतरे को तरसते ही रहे
????????????
हूर इक लंगूर के हमराह जचती ही नहीं
और हम किस्मत पे अपनी हाथ मलते ही रहे
?????????????
किस तरह “प्रीतम” संवरते जिंदगी के पेचो खम,
मेरे अरमानों को लाखों साँप डसते ही रहे

प्रीतम राठौर
श्रावस्ती (उ०प्र०)

194 Views
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