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25 Mar 2017 · 1 min read

“हम चलते रहे”

कितने ठहराव रहे जिन्दगी के
मगर हम चलते रहे।
देख साहिल दूर से
हम भँवर में मचलते रहे।
कितने खामोश किस्से रेत बन
आँखों में किरकिरी सी उड़ते रहे।
वक्त को फिसलते देख
हम हाथ मलते ही रहे।
कितने अरमान फलक पर
तारों के साथ टूटते रहे।

…निधि…

Language: Hindi
1 Like · 284 Views
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