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6 Sep 2016 · 1 min read

हम ग़रीबों से भला अब आपको क्या काम है

आपको जब ताकने का आँख पर इलज़ाम है
ये बताऐं दिल हमारा किस लिये बदनाम है
……………
आपने तो दिल को चकना चूर कर के रख दिया
हम ग़रीबों से भला अब आपको क्या काम है
…………..
ज़िन्दगी और मौत दोनों लाज़िमो मलज़ूम हैं
जिन्दगी है इब्तदा तो मौत इक अंजाम है
……………..
चन्द सिक्कों मे मिलेगी आपको इंसानियत
दिल का क्या है दिल तो साहिब कोडियों के दाम है
……………
शुक्र है हमसे मियाँ मिलने कोई आता नहीं
ज़िन्दगी में आज-कल आराम ही आराम है
…………….
मंज़िलों से कह दो सालिब ख़ुद ही आ कर ढूँढ लें
मेरी किस्मत मुबतिलाऐ गर्दििशे अय्याम है

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