“”””हम कांटे नहीं जो चुभ जाएं””””
हम कांटे नहीं जो चुभ जाएं।
कदम शुभ तुम्हारे गुलशन में पड़ जाएं।
बड़े अरमानों से खिले हैं हम,
हम तुम्हे समझे, मान हमारा बड़ जाएं।।
यो न खिन्न रहो,दर्द कोई हो हमसे कहो।
आपके लिए जग तो क्या यम से लड़ जाएं।।
दिल सजाया आपके लिए,लडे हमेशा इंसाफ के लिए।
नाइंसाफी सहे नहीं ,चाहे यह धड़ जाएं।।
दिल हमारा साफ है,त्रुटि हुई तो करना माफ है।
आओ मिल बैठकर ,कुछ नया गड़ जाए।।
अनुनय प्रसून ही बनना,महक में इसकी ही रमना।
क्या पता कब जीवन मुरझाए,फिर कैसे लड़ पाएं।।
राजेश व्यास अनुनय