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2 Mar 2021 · 3 min read

हम कहां जा रहे हैं- आनंदश्री

हम कहां जा रहे हैं- आनंदश्री

विवेकबुद्धि को जगाने का नायाब तरीका

हम कहां जा रहे हैं, यह केवल सवाल नहीं जवाब भी है। जिस नजरिए से आप देखोगे उस नजरिए से वाक्य का अर्थ निकलेगा। यह वह वाक्य है जो आपको जगा देगा, यह वाक्य है जो सचमुच में आप को जागृत कर देगा। कोई भी काम शुरुआत करने के पहले अपने आपसे सवाल जरूर पूछें – हम कहां जा रहे हैं ? मनोवैज्ञानिक कहते है कि इंसान अक्सर बेहोशी में जीता है, 24 घंटे में कुछ ही समय को छोड़ दिया जाए तो वह बेहोशी में रहता है। वह काम बेहोशी में करता है क्योंकि वह अपनी आदतों का गुलाम बन गया है। क्योंकि वह अपने मन का गुलाम बन गया है और इसलिए कई बार उसे पता नहीं होता है कि वह क्या कर रहा है। क्या करने जा रहा है। उसका उत्तर क्या आएगा, उसका रिजल्ट क्या आएगा उसे नहीं पता रहता है। बस बेहोशी में सब काम कर रहा है लेकिन जब आप अपने आप से सवाल पूछते हैं हम कहां जा रहे हैं बस उसी समय आपका मन कहीं पर भी रहने दीजिए वह आपके पास आ जाएगा। उसका उत्तर देने के लिए आपको तैयार कर देगा। उत्तर तैयार करके उसके सामने प्रेषित कर देगा ,अपने आप से सवाल पूछते हम कहां जा रहे है।

इंसान कितना भी मजबूत होने दो उसका मन काबू में नहीं है तो वह गुलाम है। वह स्वस्थ शरीर होकर भी, आजाद होकर भी गुलाम की तरह जीता है। गुलामी को तोड़ना है तो अपने आप से सवाल जरूर पूछना -हम कहां जा रहे हैं । जितना जल्दी हो सके अपने आप से सवाल पूछो जितनी बार हो सके उतने बार अपने आप से सवाल पूछो हम कहां जा रहे हैं, वह सवाल है जो आप को जागृत कर देगा। यह सवाल है जो आपको प्रेरणा देगा। यह सवाल है सचमुच में आपको सफलता की ऊंचाई पर पहुंचा देगा। आप जहां पर पहुंचना चाहते हैं वहां पर आपको पहुंचा देगा और आप एक नई ऊंचाई पर पहुंच जाओगे बस अपने आपको सवाल पूछना है कि हम कहां जा रहे हैं। जैसे हम सवाल पूछते हैं वैसे ही सवाल का उत्तर आपको मिल जाता है और सवाल का उत्तर मिलते ही आप होश में आ जाओगे और आप सचमुच में हम कहां जा रहे हैं यह सवाल भी है जवाब भी है। और आप को जागृत करने की चाबी भी है।

यह सवाल छड़ी भी है जो आपको हमेशा सतर्क रखेगी मुझे कहानी याद आती है एक राजा ने अपने दरबार में बकरी को मंगाया और कहा कि यह बकरी सामने कितना भी घास डालने पर वह नहीं खायेगी तो उस इंसान को इनाम दिया जाएग। बहुतो ने प्रयास किया घास डाले और वह न खाये , लकिन सभी ने हार मान ली। एक गड़ेरिया आता है और वो कहता है यह बकरी मुझे कुछ दिन के लिया जाए। 7 दिन के बाद वह गड़ेरिया बकरी के साथ आता है। आश्चर्य की, घास डालने पर वह बकरी घास नहीं खाती, राजा को भी आश्चर्य होता है कि बकरी, घास नहीं खा रही है। अब तक ऐसा नहीं हुआ था। बकरी के सामने घास के घास – हरी हरी घास रखी जा रही थी। लेकिन वह नहीं रही खा रही थी। राजा ने सवाल पूछा कि आपने कैसे किया। गड़ेरिया ने जवाब दिया कि इसका पूरा हल इस डंडे में है , यह बकरी जब भी घास खाने जाती मैं डंडा दिखा देता, वह दूर हो जाती। सात दिन तक यही करता रहा और आज देखो इसी तरह से उसने खाना छोड़ दिया। यह डंडा कोई और नहीं विवेक का डंडा है।

हम कहाँ जा रहे है – यह प्रश्न नहीं यह विवेक का डंडा है जो हमारे बुद्धि को जगा देगा। आप जागृत हो जाए और वह काम करें जिसके लिए आपका जन्म हुआ है।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता – आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता – माइंडसेट गुरु
मुंबई
8007179747

Language: Hindi
288 Views
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