हम उनसे वफ़ा करते रहे
हम उनसे वफ़ा करते रहे
हम बार बार सामने उनके झुकते रहे,,
अमीरी का गुमान वो हमे दिखाते रहे।
करीब हर वक्त हम खुद जाते रहे,,,
दरकिनार वो हमें रोज करते रहे।
दूरी का न कभी मलाल हम करते रहे,,,
मगर वो बीच हमारे फासला जताते रहे।
हम गम में भी याद उन्हें करते रहे,,
खुशी में भी वो हमें भुलाते रहे।
हम इश्क में उनसे वफ़ा करते रहे,,
हर घड़ी वो हमसे जफ़ा करते रहे।
लौट आने का हम उनका इन्तेजार करते रहे,,
आँखों से हमे ओझल वो करते रहे।
गायत्री सोनु जैन?