Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Nov 2016 · 1 min read

[[ हम इश्क के मारे है , इतना ही बताना है ]]

#मुक्तक

हम इश्क के मारे है , इतना ही बताना है
रोने को नहीं कोई , हँसने को जमाना है

गर इश्क करो तुम भी , फरियाद मेरी सुन लो
बहती है मेरी आँखें , बस तुम को दिखाना है

#नितिन_शर्मा

Language: Hindi
292 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इश्क की पहली शर्त
इश्क की पहली शर्त
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
पिता का पता
पिता का पता
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
कुछ परछाईयाँ चेहरों से, ज़्यादा डरावनी होती हैं।
कुछ परछाईयाँ चेहरों से, ज़्यादा डरावनी होती हैं।
Manisha Manjari
उसका चेहरा उदास था
उसका चेहरा उदास था
Surinder blackpen
" लिहाज "
Dr. Kishan tandon kranti
तुम गजल मेरी हो
तुम गजल मेरी हो
साहित्य गौरव
जिस के नज़र में पूरी दुनिया गलत है ?
जिस के नज़र में पूरी दुनिया गलत है ?
Sandeep Mishra
नज़र का फ्लू
नज़र का फ्लू
आकाश महेशपुरी
2910.*पूर्णिका*
2910.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विचार
विचार
Godambari Negi
काम और भी है, जिंदगी में बहुत
काम और भी है, जिंदगी में बहुत
gurudeenverma198
मत रो मां
मत रो मां
Shekhar Chandra Mitra
श्री भूकन शरण आर्य
श्री भूकन शरण आर्य
Ravi Prakash
"फासले उम्र के" ‌‌
Chunnu Lal Gupta
हारिये न हिम्मत तब तक....
हारिये न हिम्मत तब तक....
कृष्ण मलिक अम्बाला
कब गुज़रा वो लड़कपन,
कब गुज़रा वो लड़कपन,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
विश्वेश्वर महादेव
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
💐प्रेम कौतुक-488💐
💐प्रेम कौतुक-488💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नारी
नारी
Dr Parveen Thakur
क्या आप उन्हीं में से एक हैं
क्या आप उन्हीं में से एक हैं
ruby kumari
यादों में ज़िंदगी को
यादों में ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
सारी तल्ख़ियां गर हम ही से हों तो, बात  ही क्या है,
सारी तल्ख़ियां गर हम ही से हों तो, बात ही क्या है,
Shreedhar
अम्बेडकरवादी हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
अम्बेडकरवादी हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
जूते और लोग..,
जूते और लोग..,
Vishal babu (vishu)
सुप्रभात
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ग़ज़ल - फितरतों का ढेर
ग़ज़ल - फितरतों का ढेर
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
मिट गई गर फितरत मेरी, जीवन को तरस जाओगे।
मिट गई गर फितरत मेरी, जीवन को तरस जाओगे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
……..नाच उठी एकाकी काया
……..नाच उठी एकाकी काया
Rekha Drolia
जब भी आया,बे- मौसम आया
जब भी आया,बे- मौसम आया
मनोज कुमार
Loading...