Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2017 · 1 min read

हम अपनी बात बताते है।

हम अपनी बात बताते है
अपने उसूल पर चलते है
निंदा की परवाह बिना
अपने ढंग से हम जीते है
सहते है कष्ट आह बिना
हम अध्येता है नित शोध करे
सच कहते न घबराते है
हम अपनी बात बताते है
पैसो की परवाह नही
पद प्रसिद्धि की कोई चाह नही
कोई मेरे बारे मे जो कहता
कम जाना है थाह नही
सब जिस रास्ते मे चलते है
वैसी है मेरी राह नही
प्रसंशा से प्रसंन्न न होते
चलते नित न घबराते है
हम अपनी बात बताते है
कोई मुझको अध्यापक जाने
कोई कवि रूप पहचाने
कोई कमजोर कहा करते
कोई कोई निर्धन जाने
कोई अज्ञानी मान रहा
कोई गुरू सा सम्मान दे रहा
मै क्या हूं कम ही जताते है
हम अपनी बात बताते है
कभी बात चलती है जन मे
रहता अहम् जिनके मन मे
छोटा कह देते है छन मे
नही सामना हुआ हमारा
कहां पराजित किए है रन मे
पर मुझसे बडा जताते है
हम अपनी बात बताते है
सज्जनता सादगी सच्चाई
सदा मुझे जीवनभर भाई
संकोची हूं कुछ बात करू
अपने को नही दर्शाते है।
हम अपनी बात बताते है
कितने संघर्ष सहे हमने
कितनी असफलताएं पाई
कितनी आलोचना सहे
कितनी मैने ठोकर खाई
पर चुप रहते सह जाते है
नही कभी बतलाते है
आज अपनी बात बताते है।
कम शब्दो मे मैने कह दी
अपने बारे मे बात
फिर अवसर पर करेगे।
अपने मन की बात
विन्ध्यप्रकाश मिश्र नरई संग्रामगढ प्रतापगढ

Language: Hindi
244 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मित्रता तुम्हारी हमें ,
मित्रता तुम्हारी हमें ,
Yogendra Chaturwedi
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कहानी-
कहानी- "खरीदी हुई औरत।" प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
लहसुन
लहसुन
आकाश महेशपुरी
वक्त यूं बीत रहा
वक्त यूं बीत रहा
$úDhÁ MãÚ₹Yá
मेरी फितरत
मेरी फितरत
Ram Krishan Rastogi
रात का आलम किसने देखा
रात का आलम किसने देखा
कवि दीपक बवेजा
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सच तो कुछ भी न,
सच तो कुछ भी न,
Neeraj Agarwal
"दीप जले"
Shashi kala vyas
कान में रखना
कान में रखना
Kanchan verma
■ welldone
■ welldone "Sheopur"
*Author प्रणय प्रभात*
हे देश मेरे
हे देश मेरे
Satish Srijan
2558.पूर्णिका
2558.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
VINOD CHAUHAN
*षडानन (बाल कविता)*
*षडानन (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
शिक्षक को शिक्षण करने दो
शिक्षक को शिक्षण करने दो
Sanjay Narayan
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Anil chobisa
84कोसीय नैमिष परिक्रमा
84कोसीय नैमिष परिक्रमा
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
प्रतिबद्ध मन
प्रतिबद्ध मन
लक्ष्मी सिंह
सम्मान
सम्मान
Paras Nath Jha
जानते हैं जो सबके बारें में
जानते हैं जो सबके बारें में
Dr fauzia Naseem shad
जंगल का रिवाज़
जंगल का रिवाज़
Shekhar Chandra Mitra
छोटी छोटी खुशियों से भी जीवन में सुख का अक्षय संचार होता है।
छोटी छोटी खुशियों से भी जीवन में सुख का अक्षय संचार होता है।
Dr MusafiR BaithA
"ताकीद"
Dr. Kishan tandon kranti
श्री रामलला
श्री रामलला
Tarun Singh Pawar
जब होंगे हम जुदा तो
जब होंगे हम जुदा तो
gurudeenverma198
अदाकारियां
अदाकारियां
Surinder blackpen
कुछ पंक्तियाँ
कुछ पंक्तियाँ
आकांक्षा राय
Loading...