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15 Dec 2019 · 1 min read

हमारी मुहब्बत बड़ी ग़मज़दा है

हमारी मुहब्बत बड़ी ग़मज़दा है
न मिलना मुकद्दर में इसके लिखा है

नहीं ज़िन्दगी हाथ में कुछ हमारे
वही होना है जिसमें तेरी रज़ा है

हैं हम काठ की पुतलियों के सिवा क्या
कहा वक़्त ने जो वही बस किया है

मिला तो नहीं हमको अमृत कहीं भी
मगर जहर का घूँट अक्सर पिया है

ज़रा तो बदल चाल ऐ ज़िन्दगी तू
किसी ने नहीं तुझको जी भर जिया है

रहो वैसे जैसा है रब ने बनाया
जमीं कब उठी आसमां कब झुका है

करे ‘अर्चना’ क्या शिकायत किसी से
वो खुद से ही रहती हमेशा खफ़ा है

15-12-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
1 Like · 352 Views
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