हमारा ये दिल यूँ पराया न होता
हमारा ये दिल यूँ पराया न होता
इसे इश्क में गर डुबाया न होता
जलाते सभी दीप कुछ प्यार के तो
ये तम नफरतों का यूँ छाया न होता
नहीं कामयाबी कदम चूमती जो
सही पथ ये’ माँ ने दिखाया न होता
जहाँ भर के गम तोड़ देते हमें भी
अगर आपसे दिल मिलाया न होता
न नासूर बनते ज़ख़म ये हमारे
अगर आपने दिल दुखाया न होता
अगर मानते ‘अर्चना’ से मुहब्बत
कभी दाम इसका लगाया न होता
डॉ अर्चना गुप्ता