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13 Nov 2017 · 1 min read

हमारा प्यार लगता है तुम्हारा हो न पायेगा

हमारा प्यार लगता है तुम्हारा हो न पायेगा
मगर तुम सा कहीं कोई हमारा हो न पायेगा

सहा अपमान भी हमने ,मिला जो आज तक तुमसे
मगर अब और ये सहना गवारा हो न पायेगा

कभी भी तुम मिलाना मत किसी को धूल में वरना
बुलंदी पर तुम्हारा भी सितारा हो न पायेगा

किनारा आज तो तुमने किया कह गैर ही हमको
मगर तुम देखना हम सा सहारा हो न पायेगा

किया है पीठ पीछे वार बनकर दोस्त जब तुमने
मुआफी का भी अब हमसे इशारा हो न पायेगा

ग़मों में यूँ घिरे रहकर हमें लगने लगा है ये
कभी भी ‘अर्चना’ इनसे किनारा हो न पायेगा

डॉ अर्चना गुप्ता
13-11-2015

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