हमारा प्यार लगता है तुम्हारा हो न पायेगा
हमारा प्यार लगता है तुम्हारा हो न पायेगा
मगर तुम सा कहीं कोई हमारा हो न पायेगा
सहा अपमान भी हमने ,मिला जो आज तक तुमसे
मगर अब और ये सहना गवारा हो न पायेगा
कभी भी तुम मिलाना मत किसी को धूल में वरना
बुलंदी पर तुम्हारा भी सितारा हो न पायेगा
किनारा आज तो तुमने किया कह गैर ही हमको
मगर तुम देखना हम सा सहारा हो न पायेगा
किया है पीठ पीछे वार बनकर दोस्त जब तुमने
मुआफी का भी अब हमसे इशारा हो न पायेगा
ग़मों में यूँ घिरे रहकर हमें लगने लगा है ये
कभी भी ‘अर्चना’ इनसे किनारा हो न पायेगा
डॉ अर्चना गुप्ता
13-11-2015