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6 Jun 2021 · 3 min read

हमारा पर्यावरण

“पर्यावरण दिवस” कितना अच्छा लगता है इस शब्द को सुनकर के, क्योंकि हम जहां रहते हैं, जहां उठते हैं, बैठते हैं, खेलते हैं, खुदते हैं, यानी किसी भी परिस्थिति में रहते हैं वह सारे परिस्थिति हमारे पर्यावरण में ही होती है।

लोग प्रत्येक 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हैं और कई तरह के पौधे लगाते हैं। इसमें तो रोमांचक भरी बातें यह होती है कि एक पौधे लगते है लो और चार-पांच व्यक्ति फोटो खिंचवाते हैं। उसमें से पांच व्यक्ति जो फोटो खिंचवाते हैं। वह 5 जून के बाद उस पौधे की देखरेख करने कभी जाते नहीं है कि वह पौधा लगा कि नहीं लगा। लेकिन फोटो खिंचवा कर के वह यह संदेश देना चाहते हैं कि हम सारे लोग पौधे लगाएं, बस पौधे लगाएं? वह पौधा जीवित रहे, ना रहे। उसका कोई ख्याल नहीं रखता है।

जबकि हम जानते हैं कि पौधे जीवित रहेंगे, हरे भरे रहेंगे। तभी हमको या इस धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु को ऑक्सीजन शुद्ध मिलेगी यानी हवा की शुद्धता बनी रहेगी। आप इस बार कोविड-19 में देखे ही कि कितना ऑक्सीजन की कमी हुई? और ऑक्सीजन की कमी की वजह से बहुत सारे लोग मर गए।

मेरा मानना है कि आप एक दिन मात्र 5 जून को ही पौधा ना लगाएं और उस पौधे को लगा कर भूल मत जाएं। अब आप कैसे नहीं भूलेंगे? इसके बारे में हम बताते हैं। आप जब भी अपने बच्चे का जन्मदिन मनाते हैं और जन्मदिन के शुभ अवसर पर केक लाकर के काटवाते हैं तो वहां पर केक की जगह आप उस बच्चे की जन्मदिन पर उनके हाथों से एक पौधा लगाइए और यहीं पर मत रुकिए, जब – जब भी उनका आप जन्मदिन मनाएं, तब – तब एक नया पौधा लाकर लगवाएं और उस बच्चे से बोलिए कि इस पौधे का देखरेख आपको करना है। इसका सिंचाई आपको करना है। और आपके जीवन से जुड़ा हुआ है तो इसको सुरक्षित रखना आपका ही काम है। यहीं से बच्चे के अंदर एक तो संस्कार पैदा होगा और दूसरा पेड़ पौधे एवं प्रकृति के प्रति प्रेम का भाव जगेगा।

दूसरी बात यह कि आप अपने शादी के सालगिरह पर भी यही काम करें और प्रत्येक अपने शादी के सालगिरह पर एक नया पौधा अपने हाथों लगाए और उसका देखरेख आप करें। इतना तो आप कर सकते हैं।

तीसरी बात यह कि आप अंदिना किसी भी प्रकार की कोई भी पौधा लगाएं लेकिन जिस दिन विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। उस दिन आप सभी मिलकर के एक खास विशेष प्रकार की पौधा लगाएं जो सामूहिक हो जैसे पीपल का पेड़, नीम का पेड़, बरगद का पेड़ इत्यादि। क्योंकि पीपल, नीम एवं बरगद के पेड़ों से लगभग शत प्रतिशत तक ऑक्सीजन शुद्ध मिलता है और इसका पेड़ विशाल होता है, जिससे छांव भी होती है। जिसका कीमत हम समझते ही हैं।

हमको लगता है कि अगर हम इस योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं तो दिन दोगुना, रात चौगुना से भी अधिक पेड़ों की संख्या हो जाएगी और जो हमारे पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही है वह कभी नहीं होगी।

अंततः आपसे मेरा यही अपील है कि आप इस तरीका से ऊपर के पंक्तियों में जो बातें कही गई है उसके अनुसार पेड़, पौधे लगाए, पर्यावरण की शुद्धता बढ़ाएं और अपनी एवं अपने भविष्य की जीवन बचाएं।

लेख – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳

Language: Hindi
Tag: लेख
536 Views
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