Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2019 · 2 min read

दिल की सफाई

उन्होंने खुद ही बोलना-चालना और मिलना-जुलना बंद कर दिया था। सीधे तौर पर बात कुछ भी नहीं थी, बस यूं ही किसी के पीछे, यानी भला बनने की खातिर। अभी कुछ दिन पहले शाम की ही तो बात है। मैं बैठा हुआ बच्चों को खाना खिला रहा था, बच्वों की मां रोटियां बनाकर दे रही थीं। दोनों मियां-बीवी बड़े खुलूस के साथ आकर बैठे। हालचाल लेने के बाद कुछ इधर की, कुछ उधर की… कुछ दुनियादारी की बातचीत करने लगे।

यह देखकर मैं हैरत में पड़ चुका था… इंसान रंग बदलने में किस तरह गिरगिट को भी मात कर देता है। महसूस ही नहीं हो रहा था कि यह वही इंसान है जो मुझसे कई साल से बातचीत तो क्या सामने आने पर नजर मिलाना भी पसंद नहीं करता था। खैर… हम मियां-बीवी ने अपने जमीर के मुताबिक मेहमान नवाजी में कोई कोताही नहीं की। कुछ देर बैठने के बाद उन्होंने अपने आने का मकसद बताया। बोले-अल्लाह ने हज की नेअमत से नवाजा है, हमसे कोई गलती हो गई हो तो माफ करना और दुआ करना कि खैरियत के साथ वतन वापसी हो। नॉन स्टॉप उन्होंने बहुत कुछ कह डाला।

अब बारी मेरी थी… “क्या आपको लगता है कि आपसे कोई गलती हुई है…? और इस गलती माफी इस वक्त ही क्यों? हज करना फर्ज किसी पर एहसान है? नहीं न, तो हम अपने फर्ज को अदा करने से पहले किसी से माफी क्यों मांगें? अगर यह ज़रूरी है तो नमाज पढ़ने से पहले, रोज़ा रखने से पहले या किसी को ज़कात देने से पहले माफी क्यों नहीं मांगते? फर्क सिर्फ यही है न, रोजमर्रा की फर्ज अदायगी बगैर रकम खर्च किए हो जाती है, जबकि हज के वक्त रकम खर्च करके सनद और शोहरत दोनों मिलेंगी। डर सिर्फ यही रहता ही कि भारी-भरकम रकम खर्च करके फर्ज अदा हो रहा है, इसलिए कोई कोताही न रह जाए… रही बात दिल साफ करने की तो हमें अपना दिल हमेशा साफ रखना चाहिए…।” इतने सारे सवालों और बातों के बाद कुछ देर सन्नाटा, फिर विदाई।

@ अरशद रसूल

Language: Hindi
2 Likes · 424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी तेरी महिमा न्यारी। लेखक राठौड़ श्रावण उटनुर आदिलाबाद
नारी तेरी महिमा न्यारी। लेखक राठौड़ श्रावण उटनुर आदिलाबाद
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
पिता
पिता
Dr Parveen Thakur
*** शुक्रगुजार हूँ ***
*** शुक्रगुजार हूँ ***
Chunnu Lal Gupta
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
Arvind trivedi
जिस मुश्किल का यार कोई हल नहीं है
जिस मुश्किल का यार कोई हल नहीं है
कवि दीपक बवेजा
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
वफा करो हमसे,
वफा करो हमसे,
Dr. Man Mohan Krishna
Jay prakash dewangan
Jay prakash dewangan
Jay Dewangan
मातु भवानी
मातु भवानी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
#drarunkumarshastri♥️❤️
#drarunkumarshastri♥️❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
सौ बरस की जिंदगी.....
सौ बरस की जिंदगी.....
Harminder Kaur
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
Sonu sugandh
अलविदा दिसम्बर
अलविदा दिसम्बर
Dr Archana Gupta
अपना घर
अपना घर
ओंकार मिश्र
*अग्रसेन ने ध्वजा मनुज, आदर्शों की फहराई (मुक्तक)*
*अग्रसेन ने ध्वजा मनुज, आदर्शों की फहराई (मुक्तक)*
Ravi Prakash
पिता एक सूरज
पिता एक सूरज
डॉ. शिव लहरी
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं - संदीप ठाकुर
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
हादसे
हादसे
Shyam Sundar Subramanian
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
gurudeenverma198
सुन सको तो सुन लो
सुन सको तो सुन लो
Shekhar Chandra Mitra
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी का
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी का
Rambali Mishra
थोड़ा थोड़ा
थोड़ा थोड़ा
Satish Srijan
23/60.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/60.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"राखी के धागे"
Ekta chitrangini
"कभी-कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
सोच के दायरे
सोच के दायरे
Dr fauzia Naseem shad
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
कवि रमेशराज
*फितरत*
*फितरत*
Dushyant Kumar
मुझको चाहिए एक वही
मुझको चाहिए एक वही
Keshav kishor Kumar
Loading...