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28 Apr 2019 · 1 min read

स्वावलंबन बनते जा

स्वावलंबन बनते जा
वीर साहसी आगे कदम बढ़ा जा।
कर्म करते जा ,मर्म करते जा।
खुद को फौलादी करके,
स्वावलंबन बनते जा।स्वावलंबन बनते जा।
देश की आन बान शान को बढ़ा जा।
अडिग रहते जा, निर्भीक रहते जा।
नेक इरादे पक्का करके,
स्वावलंबन बनते जा।स्वावलंबन बनते जा।
दीन दुखियों की सेवा करते जा।
प्रेम से करते जा, सदभाव से करते जा।
दीन दुखियों की मान बढ़ा करके,
स्वावलंबन बनते जा।स्वावलंबन बनते जा।
विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा जा।
योग करते जा,रोज करते जा।
स्वच्छ एवं निरोग रहके,
स्वावलंबन बनते जा।स्वावलंबन बनते जा।
_______________________________________
रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना, बिलाईगढ़, बलौदाबाजार (छ. ग.)
‌8120587822

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 287 Views
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