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26 Nov 2020 · 1 min read

–स्वार्थी रिश्ते —

स्वार्थ से भरे नजर आते हैं
सब रिश्ते
चाहे वो अपने हों या पराये
हर कोई चाहता है
स्वार्थ सिद्ध हो जाए
चाहे वो अपने हों या पराये
जिस का स्वार्थ सिद्ध हो जाए
वो सदा साथ निभाने का
सिर्फ ढोंग करता है
जब तक हल हो सके
तब तक रिश्ता स्वार्थ सा रखता है
अपने को तो इंसान
रोज आजमा के देख लेता है
पर कभी कभी
सोशल साईटस पर भी
नए नए रिश्ते जोड़ लेता है
कुछ समय गुजरने के बाद
वो भी समझ ही जाता है
यहाँ कोई नही अपना
सब कहने को हैं अपने
पर नही है किसी से नाता
क्यूंकि, वहां भी
स्वार्थ से पड़ जाता नाता है
बड़ा खुदगर्ज है इंसान
मानव होकर मानवता भूल जाता है
कोई नही है अपना यहाँ यारो
सब का सिर्फ स्वार्थ से नाता है

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 346 Views
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