Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2017 · 3 min read

स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा, गांधीजी को प्यारा

इस बात से कोई भी इन्कार नहीं कर सकता कि सबसे अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आर्य समाज के राष्ट्रवादी चिन्तन की तप्त विचारधारा से तपकर सोने की भाँति चमके। रानी लक्ष्मीबाई, तिलक, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, अजित सिंह, भगवती चरण वोरा , सुखदेव, राजगुरु, गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे अनेक आत्म बलिदानियों के साथ-साथ स्वराज, स्वदेशी, विदेशी वस्तुओं के वहिष्कार, स्त्री शिक्षा, दलितोद्धार और गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के प्रबल समर्थक तथा अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने वाले स्वामी श्रद्धानंद का स्वतन्त्रता संग्राम का जज्बा भी उस आत्म बलिदान की गाथा है जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
लेकिन इतिहासकार डॉ. मंगाराम की पुस्तक ‘क्या गांधी महात्मा थे?’ के तथ्यों के प्रकाश में देखें तो गांधीजी को आर्य समाजियों से बेहद चिढ़ थी। डाक्टर साहब के अनुसार -‘‘गांधीजी ने आर्य समाज, सत्यार्थ प्रकाश, महर्षि दयानंद और स्वामी श्रद्धानंद की विभिन्न प्रकार से आलोचना की। गांधीजी ने कहा-‘‘स्वामी श्रद्धानंद पर भी लोग विश्वास नहीं करते हैं। मैं जानता हूँ कि उनकी तकरीरें ऐसी होती हैं जिनसे कई बार बहुतों को गुस्सा आता है। दयानंद सरस्वती को मैं बड़े आदर की दृष्टि से देखता हूँ, पर उन्होंने अपने हिन्दू-धर्म को संकुचित और तंग बना दिया है। आर्य समाज की बाइबिल ‘सत्यार्थ प्रकाश’ को मैंने दो बार पढ़ा है। यह निराशा और मायूसी प्रदान करने वाली किताब है।’’
डॉ. मंगा राम ने पुस्तक में आगे लिखा है-‘‘स्वामी श्रद्धानंद को 23 दिसम्बर 1926 को अब्दुल रशीद नामक एक युवक ने उस समय गोली से मार दिया, जब वे रुग्ण शैया पर पड़े हुए थे। गांधीजी ने स्वामीजी के हत्यारे को ‘प्यारे भाई रशीद’ कहकर सम्बोधित किया। उसके द्वारा की गयी जघन्य हत्या की निन्दा करने के स्थान पर उस हत्यारे के प्रति बरती गयी उदारता क्या गांधी जी की नैतिकता गिरावट को प्रकट नहीं करती? भले ही ब्रिटिश सरकार ने अब्दुल रशीद को फाँसी पर लटका दिया किन्तु उसको बचाने का प्रत्यत्न करने वाले वकील आसफअली गांधीजी के भक्त और कांग्रेस के नेता थे।
स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के समय गांधीजी कांग्रेस के 1926 के गोहाटी अधिवेशन में भाग ले रहे थे। जब उन्हें स्वामीजी की हत्या का समाचार मिला तो गांधीजी ने कहा-‘‘ऐसा तो होना ही था। अब आप शायद समझ गये होंगे कि किस कारण मैंने अब्दुल रशीद को भाई कहा है और मैं पुनः उसे भाई कहता हूँ। मैं तो उसे स्वामीजी का हत्या का दोषी नहीं मानता। वास्तव में दोषी तो वे हैं जिन्होंने एक-दूसरे के विरुद्ध घृणा फैलायी।’’
स्वामी श्रद्धानंद के अतिरिक्त प्रख्यात आर्य उपदेशक पं. लेखराम, दिल्ली के प्रसिद्ध आर्य समाजी नेता लाल नानक चंद, महाशय राजपाल, सिन्ध के आर्य नेता नाथूरमल शर्मा आदि भी कट्टरपंथियों द्वारा मारे गये किन्तु गांधीजी ने इन आर्य विद्वानों और नेताओं की हत्या की निंदा में कभी भी कोई शब्द व्यक्त नहीं किया। जिस प्रकार स्वामी श्रद्धानंद जैसे मूर्धन्य नेता की हत्या किये जाने पर गांधीजी ने उनके हत्यारे अब्दुल रशीद की आलोचना नहीं की, उसी प्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की हत्या किये जाने पर भी उन्होंने हत्यारों की निंदा नहीं की।
कुल मिलाकर डॉ. मंगा राम अपनी पुस्तक ‘क्या गांधी महात्मा थे?’ के माध्यम से अंहिसा के पुजारी महात्मा गांधी की हिंसा को बल प्रदान करने वाली इस सोच के पीछे यह तर्क देते हैं कि-‘‘गांधीजी समझते थे कि मुस्लिम हत्यारों की निंदा करने पर उनकी वांछित हिन्दू-मुस्लिम एकता सम्भव नहीं हो पायेगी तथा उन्हें साम्प्रदायिक कहकर बदनाम किया जायेगा।
———————————————————————-
सम्पर्क- 15/109 ईसानगर, निकट थाना सासनी गेट, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
526 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरा सहारा
तेरा सहारा
Er. Sanjay Shrivastava
तुम  में  और  हम  में
तुम में और हम में
shabina. Naaz
सफर में महबूब को कुछ बोल नहीं पाया
सफर में महबूब को कुछ बोल नहीं पाया
Anil chobisa
राजे तुम्ही पुन्हा जन्माला आलाच नाही
राजे तुम्ही पुन्हा जन्माला आलाच नाही
Shinde Poonam
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कैमरे से चेहरे का छवि (image) बनाने मे,
कैमरे से चेहरे का छवि (image) बनाने मे,
Lakhan Yadav
ज़िन्दगी तुमको ढूंढ ही लेगी
ज़िन्दगी तुमको ढूंढ ही लेगी
Dr fauzia Naseem shad
बाल कविता: मोटर कार
बाल कविता: मोटर कार
Rajesh Kumar Arjun
मीठे बोल
मीठे बोल
Sanjay ' शून्य'
तेरी हुसन ए कशिश  हमें जीने नहीं देती ,
तेरी हुसन ए कशिश हमें जीने नहीं देती ,
Umender kumar
🫡💯मेरी competition शायरी💯🫡
🫡💯मेरी competition शायरी💯🫡
Ms.Ankit Halke jha
"आखिरी इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
शिव की बनी रहे आप पर छाया
शिव की बनी रहे आप पर छाया
Shubham Pandey (S P)
मूर्ख बनाने की ओर ।
मूर्ख बनाने की ओर ।
Buddha Prakash
वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
3-फ़क़त है सियासत हक़ीक़त नहीं है
3-फ़क़त है सियासत हक़ीक़त नहीं है
Ajay Kumar Vimal
मेरी बच्ची - दीपक नीलपदम्
मेरी बच्ची - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कल और आज जीनें की आस
कल और आज जीनें की आस
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"बचपने में जानता था
*Author प्रणय प्रभात*
तितली
तितली
Manu Vashistha
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बालगीत :- चाँद के चर्चे
बालगीत :- चाँद के चर्चे
Kanchan Khanna
रुलाई
रुलाई
Bodhisatva kastooriya
कौन है जो तुम्हारी किस्मत में लिखी हुई है
कौन है जो तुम्हारी किस्मत में लिखी हुई है
कवि दीपक बवेजा
2769. *पूर्णिका*
2769. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पूर्वार्थ
कौन सुने फरियाद
कौन सुने फरियाद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
होता है सबसे बड़ा, सदा नियति का खेल (कुंडलिया)
होता है सबसे बड़ा, सदा नियति का खेल (कुंडलिया)
Ravi Prakash
महापुरुषों की सीख
महापुरुषों की सीख
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...