Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2018 · 1 min read

स्वर कहां से लाऊं

स्वर कहां से लाऊं….

आगत स्वर, आहत स्वर
तुम प्राण प्रिये, मैं नश्वर
शांति मन की यही वेदना
संताप स्वरों की संवेदना।

स्वर-स्वर में निशब्द यहां
स्वर-स्वर अभिशप्त यहां
जीवन के इस रंगमंच पर
गूंजन गायन तृप्त कहां।।

Language: Hindi
261 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नीम
नीम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐अज्ञात के प्रति-105💐
💐अज्ञात के प्रति-105💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैं आजादी तुमको दूंगा,
मैं आजादी तुमको दूंगा,
Satish Srijan
उठ वक़्त के कपाल पर,
उठ वक़्त के कपाल पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*गैरों सी! रह गई है यादें*
*गैरों सी! रह गई है यादें*
Harminder Kaur
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
Anand Kumar
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
'अशांत' शेखर
असंतुष्ट और चुगलखोर व्यक्ति
असंतुष्ट और चुगलखोर व्यक्ति
Dr.Rashmi Mishra
आओ कृष्णा !
आओ कृष्णा !
Om Prakash Nautiyal
দারিদ্রতা ,রঙ্গভেদ ,
দারিদ্রতা ,রঙ্গভেদ ,
DrLakshman Jha Parimal
थक गये चौकीदार
थक गये चौकीदार
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
Seema gupta,Alwar
होकर मजबूर हमको यार
होकर मजबूर हमको यार
gurudeenverma198
खंडहर में अब खोज रहे ।
खंडहर में अब खोज रहे ।
Buddha Prakash
हाथों में गुलाब🌹🌹
हाथों में गुलाब🌹🌹
Chunnu Lal Gupta
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
Rekha khichi
दोहा
दोहा
Ravi Prakash
काश वो होते मेरे अंगना में
काश वो होते मेरे अंगना में
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं, भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं।
निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं, भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं।
Manisha Manjari
सुई-धागा को बनाया उदरपोषण का जरिया
सुई-धागा को बनाया उदरपोषण का जरिया
Shyam Hardaha
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा
Atul "Krishn"
हाजीपुर
हाजीपुर
Hajipur
दोहावली...
दोहावली...
डॉ.सीमा अग्रवाल
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
जय भगतसिंह
जय भगतसिंह
Shekhar Chandra Mitra
आज के लिए जिऊँ लक्ष्य ये नहीं मेरा।
आज के लिए जिऊँ लक्ष्य ये नहीं मेरा।
Santosh Barmaiya #jay
जानते हो मेरे जीवन की किताब का जैसे प्रथम प्रहर चल रहा हो और
जानते हो मेरे जीवन की किताब का जैसे प्रथम प्रहर चल रहा हो और
Swara Kumari arya
चोट
चोट
आकांक्षा राय
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...