Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Dec 2016 · 4 min read

स्वरिता

‘अरे ,चलो देर हो रही है ‘कहते हुँऐ अंगना अपनी छोटी सी बेटी स्वरिता को हाथ खींचकर कार में बिठाने लगी ।
‘नहीं आना हे मुझे आपके साथ मम्मा,मुझे यहाँ पापा के पास खेलना है ,आप तो हमेंशा डाँटती रहती हो ,पापा नहीं डाँटते ”
“ओके बाबा ,अब मैं भी नहीं डाटूँगी बस ?’
कहकर अंगना ने प्यार से कार की बगल वाली सीट पर स्वरिता को बिठाकर कार स्टार्ट की ।लेकिन फिर भी स्वरिता का मुड़ बिगड़ा हुआ रहा और विंडो के बाहर देखते हुँऐ दो -चार आंसू गिरा ही दिए ।
अंगना भी उदास हो गई ,जैसे एक पल में उसकी बरसो की महेनत पर पानी फिर गया हो ,क्या करे ? सुपरवुमेन होते हुऐ भी पापा तो नहीं बन सकती।रास्ते में स्वरिता का फेवरिट मेक्डोनाल्ड देखकर कार स्लो कर दी ।तो एकदम से स्वरिता ने कहा …
‘मम्मा ,कल ही यहाँ पर वो हमारे नेबर है ना ? वो जिंकु ,हम सब उसकी बर्थ- डे मनाने यहाँ आये थे
”हम सब ?मतलब और कोन?”
‘अरे वो , पापा की ऑफिस में ,इण्टरनेशनल ट्रेनिंग के लिए सिंगापुर से आयी है वो नीली आंटी ,में और पापा निकल रहे थे और वो पापा को प्रमोशन की विश करने बुके लेकर आ गयी ,फिर हमने उन्हें वहाँ साथ ही इनवाइट कर लिया ,जिंकु के पापा मम्मी भी उन्हें पहचानते है ‘ अंगना का पैर जोर से ब्रेक पर लग गया ।
‘क्या हुआ मम्मा ? आप टेंशन में क्यों लग रहे हो ?’
‘कुछ नहीं बेटा ,चलो जल्दी घर जाकर तुम्हारी पसंद का कुछ बना देती हूँ ‘
घर पहुँचकर अंगना ने सब विचारों को भूलते हुँऐ किचन में फ़टाफ़ट बेक्ड़ डिश बना दी और मिल्क -शेक टेबल पर रखते हुँऐ वापस स्वरिता को डिनर के लिए आवाज़ लगाई ।
‘स्वरिता ,चलो बेटा आप का डिनर ‘
डिनर फिनिश करके फिर बेड़पर लेटे हुए अंगना स्वरिता से बातें करने लगी।वो समज़ रही थी के स्वरिता के सपनो की छोटी सी दुनिया में जब भी उस के पापा दर्पित के घर से वापस आती है तब हलचल मच जाती होगी । दर्पित का घर ?क्या वो अब घर हमारा नहीं रहा ? यादों का इक सैलाब सा बह निकला अंगना के दिल से ,
…… अपने प्यार को पा लेना और फिर उसी के साथ ज़िन्दगी की शुरुआत करना ….कितने लकी थे दोनों दर्पित और अंगना ….दो खूबसूरत साल और फिर स्वरिता का जन्म ….सारी खुशी तो पा ली थी ….अंगना की कार्यक्षमता को अप्रिशिएट करते हुए कंपनी ने प्रमोशन दिया और अंगना काफी बिज़ी रहने लगी ….थोड़े समय के लिए तो दर्पित ने हेल्प की लेकिन फिर उसका रवैया काफी बदल गया । हमेशा जुन्ज़लाया हुआ ऑफिस से आता और दोनों में बहस छिड़ जाती ।अंगना समज गयी की उसकी तरक्की और समय कम दे पाना ही दर्पित को खल रहा था ।घर में कूक और सर्वेंट भी थी ,स्वरिता की परवारिश में कोई कमी नहीं थी। और ७०- ८० की.मि. की दूरी पर नए ब्रांच की मेनेजर बनने का मौका और फ्लेट -गाड़ी भी कंपनी की तरफ से मिल रहा था, तो अंगना ने ये मौका हाथ से जाने नहीं दिया। लेकिन दर्पित ने तो इतनी खलबली मचाई तो अंगना ने गुस्से में घर छोड़ दिया और स्वरिता को लेकर नई जगह पर आ गई ।
दर्पित ने कोर्ट में स्वरिता की कस्टडी के लिए केस किया लेकिन एक महीने में सिर्फ ३ दिन उसे अपने घर ले जाने की अनुमति मिली और डिवोर्स फ़ाइल कर दिए ।
…अब तो स्वरिता भी ८ साल की हो गयी थी।अपने काम की धुन में और स्वरिता के साथ अपने अकेलेपन का अहेसास ही नहीं हो रहा था,एक कड़वाहट सी मन में भर गई थी दर्पित के अमानवीय व्यवहार के कारन और अपने प्यार को हारा हुआ समज़ रही थी ।
सोचते सोचते कब आँख लग गयी और दूसरे दिन से फिर ज़िन्दगी वही रूटीन सी राहों पर, लेकिन मन में एक ओर टीस के साथ की कोई ओर… चाहे क्लोज़ फ्रेंड के रूप में ही लेकिन दर्पित की ज़िन्दगी में आ गया था …..पूरा दिन एक बेचैनी के साथ गुज़रा ।शायद इसी तरह एक दिन स्वरिता की ज़िन्दगी से भी उसकी अहमियत निकल जायेगी मगर फिर अपने मन को मज़बूत करती हुई समय के साथ बहती रही.
बहुत लंबे अरसे के बाद उसने अपनी पुरानी पड़ोसी फ्रेंड रचिता को फोन लगाया ।इधर उधर की बातें करते हुए तपाक से रचिता ने बोल दिया ,
‘अंगना ,तुम तो अब इतनी आगे बढ़ चुकी हो की हम सब की तो कभी याद भी नहीं आती होगी ।स्वरिता जब भी यहाँ रहने आती हे तुम्हारी खबर पूछ लेती हूँ ।तुम तो हमेंशा पार्किंग से ही चली जाती हो ,हम सबकी दोस्ती तो अभी तक वैसी ही हैं। हर वीकेंड में एक दूसरे के घरपर पार्टी करते है ।दर्पित तो एकदम से मुरझाया हुआ ही था ,बस अभी थोड़ा नीली की कंपनी और सपोर्ट से खिला खिला महसूस करता है । नीली सिंगापुर में रही जरूर है पर पुरे भारतीय संस्कार है और अब शायद इंडिया में ही सेटल ….. अंगना रचिता की बात काटते हुए बोली ,
‘ओके, अब आउंगी तो जरूर आप सबसे मिलूंगी ,इसी संड्डे की पार्टी प्वाइंट कर लूंगी ‘
‘ओह ,लेकिन आई एम् वेरी सोरी टू से धेट इसी सन्डे को तो दर्पित और नीली की एंगेजमेंट सेरेमनी है ,यहीं अपनी टेरेस पर ,किसी ओर दिन मिलते है स्वरिता के साथ ‘
रचीता ने कहा और अंगना तुरंत फोन काट कर बाल्कनी की रैलीग को सख्ती से पकडे हुए गर्म आंसू के सैलाब मे भीग गई …
और अंगना के मन में दर्पित के प्रति नफरत की आग थी उसी के साथ पीछले दीनो जेलसी में छुपी हुई प्यार की एक आखिरी चिंगारी उठी थी वो भी जलकर भस्म हो गई ।

– मनीषा जोबन देसाई

Language: Hindi
295 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हिन्दी पर हाइकू .....
हिन्दी पर हाइकू .....
sushil sarna
नेता पक रहा है
नेता पक रहा है
Sanjay ' शून्य'
शब्द
शब्द
ओंकार मिश्र
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
शिव प्रताप लोधी
विडंबना
विडंबना
Shyam Sundar Subramanian
💐प्रेम कौतुक-448💐
💐प्रेम कौतुक-448💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ स्वयं पर संयम लाभप्रद।
■ स्वयं पर संयम लाभप्रद।
*Author प्रणय प्रभात*
कितना भी  कर लो जतन
कितना भी कर लो जतन
Paras Nath Jha
उम्रभर
उम्रभर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"उदास सांझ"
Dr. Kishan tandon kranti
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
DrLakshman Jha Parimal
अगर मैं अपनी बात कहूँ
अगर मैं अपनी बात कहूँ
ruby kumari
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
Ramswaroop Dinkar
*** कुछ पल अपनों के साथ....! ***
*** कुछ पल अपनों के साथ....! ***
VEDANTA PATEL
" वो क़ैद के ज़माने "
Chunnu Lal Gupta
टूटकर, बिखर कर फ़िर सवरना...
टूटकर, बिखर कर फ़िर सवरना...
Jyoti Khari
*चले भक्ति के पथ पर जो, कॉंवरियों का अभिनंदन है (गीत)*
*चले भक्ति के पथ पर जो, कॉंवरियों का अभिनंदन है (गीत)*
Ravi Prakash
सच ज़िंदगी के रंगमंच के साथ हैं
सच ज़िंदगी के रंगमंच के साथ हैं
Neeraj Agarwal
आईने से बस ये ही बात करता हूँ,
आईने से बस ये ही बात करता हूँ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कोरोंना
कोरोंना
Bodhisatva kastooriya
नारी
नारी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
विषय--विजयी विश्व तिरंगा
विषय--विजयी विश्व तिरंगा
रेखा कापसे
गेसू सारे आबनूसी,
गेसू सारे आबनूसी,
Satish Srijan
राधा और मुरली को भी छोड़ना पड़ता हैं?
राधा और मुरली को भी छोड़ना पड़ता हैं?
The_dk_poetry
"प्यासा"मत घबराइए ,
Vijay kumar Pandey
जीवन ज्योति
जीवन ज्योति
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
3057.*पूर्णिका*
3057.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...