स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
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नारी स्वतंत्रता की
हम बड़ी बड़ी बातें करते
कहानियां, कविताएं,
बड़े बड़े लेख लिखते हैं,
बड़े आयोजन, परिचर्चा, गोष्ठियां
आये दिन करते हैं।
परंतु इन ढकोसलों से
नारी कितनी स्वतंत्र हुई
ये भी हम सब जानते हैं।
क्योंकि हम वास्तव में
स्वतंत्रता का
मतलब नहीं जानते हैं।
नारी शिक्षा अभी भी बेहाल है
नारी उत्पीड़न का अभी भी
बुरा ही हाल है।
अभद्रता, छेड़छाड़, बलात्कार
हत्या, तेजाबी हमला,भेदभाव
दहेज उत्पीड़न/हत्या,
कन्या भ्रूण हत्या का
अभी भी शर्मनाक हाल है।
हम सब अपनी तारीफ में
कसीदे जरूर पढ़ते हैं,
पर अपने ही घर की नारियों को
कितनी स्वतंत्रता देते हैं?
पुरुषों को हमेशा दोषी माना जाता है
क्योंकि आज भी
पुरूषों की ही प्रधानता है।
ठीक भी है दोषी को दोषी कहना,
परंतु नारियां भी
दूध की धुली नहीं हैं,
आज भी नारी ही नारी की
सबसे बड़ी दुश्मन हैं।
समाज में सिर्फ पुरूष ही नहीं
नारियाँ भी हैं।
समूचे समाज की
समान जिम्मेदारी है,
नारी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी
तन,मन धन से,
पूरी ईमानदारी से
सच्चे दिल से सबको मिलकर
निभानी है।
मुँह में राम बगल में छूरी की
मानसिकता भगानी है।
मुँह से कुछ और
कर्म से कुछ और
अपने लिए कुछ और
औरों के लिए कुछ और ही की
लक्ष्मणरेखा मिटानी है।
स्वतंत्रता का मतलब पहले
हमें खुद समझ पानी है।
तभी नारी स्वतंत्रता की
पूरी कहानी है।
?सुधीर श्रीवास्तव