Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Aug 2017 · 1 min read

स्याह दीवारें !

अपनी धरती के क्षितिज से
कही भी देखता हूँ,
कीड़े-मकोड़े सी भागमभाग दिखती हैं
संबद्धता कहीं नहीँ,
सब टूटे दिखाई देते हैं
कोई बाहर से,
कोई अंदर से

बिजली के तार को पकड़ते
सभी में भय व्याप्त है
यहाँ खिलखिलाते दिलों की सतह
लाल मखमल सी लगती है
जो हाथ रखने पर
कालिख़ पोत देती है

उस दिवार पर चढ़ने को
सब उतारू हैं
जो बाहर से लुभावनी है
अंदर से नितांत स्याह !

– नीरज चौहान
(काव्यकर्म से अनवरत)

Language: Hindi
284 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मत रो लाल
मत रो लाल
Shekhar Chandra Mitra
मनुष्य की पहचान अच्छी मिठी-मिठी बातों से नहीं , अच्छे कर्म स
मनुष्य की पहचान अच्छी मिठी-मिठी बातों से नहीं , अच्छे कर्म स
Raju Gajbhiye
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
Taj Mohammad
महायुद्ध में यूँ पड़ी,
महायुद्ध में यूँ पड़ी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
5
5"गांव की बुढ़िया मां"
राकेश चौरसिया
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं
Dr fauzia Naseem shad
जमाना है
जमाना है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वर्णमाला हिंदी grammer by abhijeet kumar मंडल(saifganj539 (
वर्णमाला हिंदी grammer by abhijeet kumar मंडल(saifganj539 (
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – तपोभूमि की यात्रा – 06
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – तपोभूमि की यात्रा – 06
Kirti Aphale
मेरे जज़्बात को चिराग कहने लगे
मेरे जज़्बात को चिराग कहने लगे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*रखिए जीवन में सदा, उजला मन का भाव (कुंडलिया)*
*रखिए जीवन में सदा, उजला मन का भाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
दिल धड़क उठा
दिल धड़क उठा
Surinder blackpen
दान किसे
दान किसे
Sanjay ' शून्य'
2676.*पूर्णिका*
2676.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आलता महावर
आलता महावर
Pakhi Jain
कविता
कविता
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है
अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
किसी का खौफ नहीं, मन में..
किसी का खौफ नहीं, मन में..
अरशद रसूल बदायूंनी
"नवाखानी"
Dr. Kishan tandon kranti
7) पूछ रहा है दिल
7) पूछ रहा है दिल
पूनम झा 'प्रथमा'
पेड़ पौधों के बिना ताजी हवा ढूंढेंगे लोग।
पेड़ पौधों के बिना ताजी हवा ढूंढेंगे लोग।
सत्य कुमार प्रेमी
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
मोह माया ये ज़िंदगी सब फ़ँस गए इसके जाल में !
मोह माया ये ज़िंदगी सब फ़ँस गए इसके जाल में !
Neelam Chaudhary
।। सुविचार ।।
।। सुविचार ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
वट सावित्री
वट सावित्री
लक्ष्मी सिंह
बह रही थी जो हवा
बह रही थी जो हवा
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
Loading...