स्क्रीन पर जानू का नाम दिखता है
जब फ़ोन के स्क्रीन पर जानू का नाम दिखता है।
तो सोना के बाबू के चेहरे पर न कोई काम दिखता है।
घूम- घूम कर कोने में जाके दुबक जाता है फोन लिए,
बाबू इस असार संसार में ,बस गुमनाम दिखता है।
जब फ़ोन के स्क्रीन पर जानू का नाम दिखता है।
अंधेरी रात में बाबू जब घर से बाहर निकलता है।
उसके बिस्तर पर ओढा तकिया चादर निकलता है।
कोई पूछ लें तो कहता है कि फ्रेंड से बात कर रहा,
न जाने क्यों इसी बात का तकिया कलाम दिखता है।
जब फ़ोन के स्क्रीन पर जानू का नाम दिखता है।
बाबू और उसकी सोना ,विलक्षण प्रतिभा के धनी जो ठहरे।
बाबू कुछ लायक हो जाये ,गर उसके पास कुछ मनी जो ठहरे।
फोनों फ्रेंड के चक्कर में ,बाबू अब बदनाम दिखता है।
जब फ़ोन के स्क्रीन पर जानू का नाम दिखता है।
सोना ने कहा कि बाबू तुमने ,मंजन किया और नहाया क्या।
फिर बाबू प्यार से कहता है ,मेले थोना ने खाना खाया क्या।
बाबू सोना में खोया है न कुछ अंजाम दिखता है।
जब फ़ोन के स्क्रीन पर जानू का नाम दिखता है।
– सिद्धार्थ पाण्डेय