स्कन्दमाता
?विधा—- लावणी छंद आधारित गीत
?विषय— स्कंदमाता ( पंचम दिवस)
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?रचना—-
आदिशक्ति स्कन्द मातेश्वरी, भक्तों का उद्धार करे।
पद्मासन पर बैठी माता, सबका बेड़ा पार करे।।
नवचेतन उद्गार जगाती, चतुर्भुजी हे! जगदम्बे।
शुभ्र वर्ण माँ संतति दात्री, ज्ञान दायिनी हे! अम्बे।।
एक हाथ में कमल पुष्प है, वरमुद्रा आशीष वरे।
पद्मासन पर बैठी माता, सबका बेड़ा पार करे।।
पार्वती माहेश्वरी माता, कार्तिकेय को गोद लिए।
सिंह वाहिनी हे जगदम्बा, मुखमंडल पर मोद लिए।।
ममता बरसाती है माता, पुत्र सदृश व्यवहार करे।
पद्मासन पर बैठी माता, सबका बेड़ा पार करे।।
रविमण्डल मे आप विराजत,रूप कान्तिमय तेज बड़ा।
लालन पालन कार्तिकेय की, कारण ही यह नाम पड़ा।।
तन्मय हो मन शुद्ध बनाकर, भक्त सदा सत्कार करे।
पद्मासन पर बैठी माता, सबका बेड़ा पार करे।।
स्कन्द मातु की दिवस पाचवाँ, करते भक्त आराधना।
मोक्ष प्राप्ति की कामना हेतु, साधक करें सब साधना।।
अज्ञानी को ज्ञान सिखाकर, सब पे माँ उपकार करे।
पद्मासन पर बैठी माता, सबका बेड़ा पार करे।।
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#घोषणा
मैं [पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’] यह घोषणा करता हूँ कि मेरे द्वारा प्रेषित रचना मौलिक एवं स्वरचित है।
[पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’]
स्थान:- मुसहरवा (मंशानगर), पश्चिमी चम्पारण, बिहार