Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2021 · 3 min read

सोरठा छंद , परिभाषा एवं उदाहरण

सोरठा
सोरठा छंद अर्धसममात्रिक छंद हैं, सोरठा छंद के प्रथम और तृतीय चरणों में 11-11 मात्राएं होती हैं. और दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मत्राएं होती हैं.|

सोरठा छंद ,दोहा छंद का बिलकुल उल्टा होता है , इसके प्रथम और तृतीय चरण के अंत में एक गुरु और एक लघु होता है |

दूसरे- चौथे चरण के अंत में लघु गुरु होते‌ हैं , तीन लघु भी हो सकते हैं , किंतु गुरु-लघु नहीं हो सकते है , यदि अंत सोरठा यानि २१२ से हो तो अति उत्तम सृजन हो जाता है |

भट्ट मथुरानाथ शास्त्री ने अपने पूर्वज श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि का सोरठा छंद में निबद्ध संस्कृत-कविता में इन शब्दों में स्मरण किया था-

तुलसी-सूर-विहारि-कृष्णभट्ट-भारवि-मुखाः।
भाषाकविताकारि-कवयः कस्य न सम्भता:॥
(इस संस्कृत श्लोक में सम चरणों का पदांत लघु गुरु से है ,

कुछ मित्र दूसरे -चौथे चरणों में पदांत गुरु गुरु से कर देते हैं , तब कौन किसको रोक सकता है ? गलत तो गलत है , किसी महाकवि के अपवाद उदाहरण देकर परम्परा नहीं डाली जा सकती है, पर मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि यदि इन चरणों का पदांत गुरु गुरु से सही मानते हैं , तब तो कह सकते है कि एक रोला में दो सोरठा होते हैं,या दो सोरठे एक रोला बना देते हैं

सोरठा में प्रथम – तीसरे चरणों की तुकांत बनाई जाती है , लेकिन दूसरे -चौथे चरणों की तुकांत जरुरी नहीं है ,

मात्रा बाँट का विधान अलग से देखने हमें तो नहीं मिला है , पर यह मात्रा बाँट दोहे के चरणों की तरह ही सही है , तब उसी हिसाब से मात्रा बाँट करना सही रहेगा ,
मात्रिक छंदो में समकल विषमकल का एक ही विधान है कि समकल के बाद समकल , विषमकल के बाद विषमकल सही होता है

जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन।
करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥

कुंद इंदु सम देह , उमा रमन करुनायतन ।
जाहि दीन पर नेह , करहु कृपा मर्दन मयन ॥
(तुलसीदास जी)
================

रहिमन मोहि न सुहाय , अमिय पियावत मान बिन |
जो विष देत बुलाय , प्रेम सहित. मरिबो भलो ||
(रहीम जी)
======≠===========

सुभाष सिंघई के सोरठा

चलते लोग कुचाल , दुर्जन जाकर देखिए |
होते सब. बेहाल , काटते बनकर विषधर ||

कंगन का यह राज‌, पनघट छनछन क्यों बजे |
बहुत हुई आबाज , वहाँ लिपटकर डोर से ||

गोरी‌ दर्पण देख , मोहित खुद पर हो रही |
रही रूप को लेख , कनक समझती निज तन ||

नहीं बुरी है बात, अपना हित ही देखना |
चले किसी पर लात , गलत समझना साधना ||

सदा रटे प्रभु नाम , तोता ज्ञानी कब बना |
भजन जहाँ श्री राम , दर्शन मिलते भगत को ||

रावण जग बदनाम , करके एक अनीति जब |
उसकी जाने राम , करता जो ताजिंदगी ||

देकर चोट निशान , ज़ख्म कुरेदे जग सदा |
करता है अपमान , आरोपों को थोपता ||

मतलब के सब यार , मिलते रहते हैं यहाँ |
मिले हाथ में खार, फैलाकर भी देख लो ||

कमी निकालें खोज ,माल बाँटिए मुफ़्त में |
बिक जाता है रोज , कचरा जाओ बेचनें ||

बहुत मिलेगें दाम , छाया के सँग फल मिलें |
जब हों कच्चे आम ,पत्थर को मत मारिए ||

उतरे हल को ठान , हम समझे हालात को |
कड़वा पाया पान , हाथ जलाकर आ गए ||

तरह-तरह के‌‌ रोग , माना इस संसार में |
दाँव पेंच के योग , सबके अपने रोग है ||

नहीं कोई‌ नादान , ज्ञानी अब सब लोग है |
अपना ज्ञान बखान , जगह-जगह हैं बाँटते ||
============================

राजनीति पर ~सोरठा

करने को कुछ गान , गूंगे बहरे जा रहे |
उतरे है मैदान, लँगडे़ अंधे दौड़ने ||

असली आज जुबान, अंधी गूँगीं बन गई |
घूमें बना किसान ,कागा साफा बांधकर ||

अब चुनाव में शान, नोट लुटाकर जीतना |
कुर्सी के श्रीमान , अपराधी अब बन गए ||

अभी दुखी है देश , राजनीति करना नहीं |
कोई भी परिवेश , सबक सिखाना शत्रु को ||

निपटाओ गद्दार , पहले भारत देश में |
इनका प्रथम सुधार नेता हो या मजहबी ||

पाक परस्ती गान , हरदम उनकी बात करें |
सबको बंद जुवान , पहले उनकी चाहिए ||

मित्रता पर सोरठा

बात करे दो चार, मित्र सदा मिलता रहे |
लगता घर परिवार , मिलते-मिलते मित्र भी ||

मित्र करे तकरार, आलोचक से सामना |
समझो सच्चा यार,भले न तुमसे मिल सके ||

मित्र सुने चुपचाप, जहाँ बुराई आपकी |
गलत नहीं हैं आप, संशय उस पर कीजिए ||

आए तेरे काम , मित्र अगर संकट सुनें |
लेकर हरि का नाम , भाई सम उसको चुने ||

कोई एक विचार, नेक आपके पास है |
दो होगें तैयार , किसी मित्र से बदलिए ||

संकट के दौरान ,सदा मित्र का साथ हो |
रहती है मुस्कान , कट जाते हैं कष्ट सब ||

©सुभाष ‌सिंघई
एम•ए• {हिंदी साहित़्य , दर्शन शास्त्र)
(पूर्व) भाषा अनुदेशक , आई•टी •आई • )टीकमगढ़ म०प्र०
निवास -जतारा , जिला टीकमगढ़‌ (म० प्र०)
=========================

आलेख- सरल सहज भाव शब्दों से सोरठा को समझानें का प्रयास किया है , वर्तनी व कहीं मात्रा दोष हो तो परिमार्जन करके ग्राह करें |

Language: Hindi
41 Likes · 14 Comments · 218524 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
Swami Ganganiya
"यह कैसा दौर?"
Dr. Kishan tandon kranti
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सच्चे इश्क़ का नाम... राधा-श्याम
सच्चे इश्क़ का नाम... राधा-श्याम
Srishty Bansal
सितम फिरदौस ना जानो
सितम फिरदौस ना जानो
प्रेमदास वसु सुरेखा
आज का दिन
आज का दिन
Punam Pande
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
श्रीहर्ष आचार्य
करम
करम
Fuzail Sardhanvi
परीक्षा
परीक्षा
Er. Sanjay Shrivastava
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें।
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें।
Dr. Narendra Valmiki
युवा
युवा
Akshay patel
वाह भाई वाह
वाह भाई वाह
gurudeenverma198
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
Manoj Mahato
*रानी ऋतुओं की हुई, वर्षा की पहचान (कुंडलिया)*
*रानी ऋतुओं की हुई, वर्षा की पहचान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*🌹जिसने दी है जिंदगी उसका*
*🌹जिसने दी है जिंदगी उसका*
Manoj Kushwaha PS
मोह लेगा जब हिया को, रूप मन के मीत का
मोह लेगा जब हिया को, रूप मन के मीत का
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
भारत की देख शक्ति, दुश्मन भी अब घबराते है।
भारत की देख शक्ति, दुश्मन भी अब घबराते है।
Anil chobisa
रिहाई - ग़ज़ल
रिहाई - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
परछाई
परछाई
Dr Parveen Thakur
नैतिकता ज़रूरत है वक़्त की
नैतिकता ज़रूरत है वक़्त की
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loneliness in holi
Loneliness in holi
Ankita Patel
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
Rohit yadav
जिन्दगी की शाम
जिन्दगी की शाम
Bodhisatva kastooriya
कतौता
कतौता
डॉ० रोहित कौशिक
मेरी बात अलग
मेरी बात अलग
Surinder blackpen
बस्ता
बस्ता
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"नमक"
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...