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15 Jul 2021 · 1 min read

सोच

अक़्सर मैं ये सोचती हूँ,
किस सोच में खोई रहती हूँ…
नील गगन के नीचे बैठ,
क्यों लहरों सी बहती हूँ…
जब दिमाग़ को बस में करती हूँ,
तो क्यों दिल से हार जाती हूँ…
अपने अंदर उठते सवालों का,
जवाब कहाँ से लाती हूँ…
अक़्सर मैं ये सोचती हूँ,
किस सोच में खोई रहती हूँ…

पायल पोखरना कोठारी

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 401 Views
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