सोच सोच में फर्क है …
जवानी होती है दीवानी ,
जवानी में तो खताएं हो ही जाती है ।
यह सोच एक निम्नकोटी की बुद्धि ,
वाले रईसजादों की ।
जो उन्हें लानतें दिलवाए ।
तो उस उच्च श्रेणी की सोच वाले ,
को ह्रदय कैसे ना नमन करे ।
जिसकी जवानी दीवानी ,
देश पर मर मिटे ,
इंसानियत के लिए फना हो जाए,
या देश का गौरव बढ़ाने को ,
खेल कूद में नाम कमाए ।
एक जवानी वो और एक जवानी यह ,
सोच सोच में जमीन आसमान का फर्क है।
एक सोच नज़रों से गिराए ,
और एक सोच आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाए ।
मानव जीवन को इनमें से भला ,
कौन सी सोच सार्थक बनाए ।
जाहिर है जो सोच मानव जीवन के ,
असली उद्देश्यों को पूर्ण करे ,
वही सोच मानव जीवन को सार्थक बनाए ।
अन्यथा एक पशु में और मनुष्य में क्या अंतर है ।
केवल सोच का ही तो फर्क है ।