सोचती हूँ तुझे…..२१२२ १२२२ १२२२ २
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सोचती हूँ तुझे सब ध्यान में रखती हूँ
ये शराफत जतन से म्यान में रखती हूँ
कब सजाने दिया तुमने मुझे तस्वीरे
चीज हर फेकने की मकान में रखती हूँ
गुजर जाती, रो-रो के जिन्दगी भी अपनी
दर्द चुपचाप ही मुस्कान में रखती हूँ
तडफ सीने उठा करती है रह -रह शायद
कोई तेज़ाब जहन- जुबान में रखती हूँ
सितम लोगो ने क्या ढाए बताना मुश्किल
रोज दीपक कहो तूफान में रखती हूँ
सुशील यादव