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13 Nov 2017 · 1 min read

सैलाब

हां नहीं रुकता है किसी के रोके,
मेरे अश्कों का ये अविरल सैलाब सनम।

हां रुके भी तो आखिर कैसे रुके,
झट से टूटे,थे देखे जो ख्वाब नीलम।

आजकल चांदनी भी तन्हा है,
लगता कि रूठा सा है महताब सनम।

आजकल बागबां भी सूखा है,
गुलों का भी खो गया शबाब सनम।

तू ही कहदे कि कैसे रोकूं मैं,
तेरी यादों का जो उमड़ा है फिर सैलाब सनम।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
349 Views
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