Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2020 · 1 min read

सैनिक बन जाऊं

देश सेवा का सोचा सैनिक बन जाऊं इसी साल में
गद्दारों को छोडू ना फसाऊ अपने जाल में !!

रख तमन्ना दिल में अपने सुबह में उठा करता था
मैदानों का चक्कर लगाकर शाम को पढा करता था
वर्दी चढ़ जाए तन पर फौजी बनू मैं किसी हाल में
देश सेवा का सोचा………..

जहां सिलेक्शन हो रहा था भीड़ बहुत ही ज्यादा था
डरना ना घबराना है यही मेरा इरादा था
देख मेरी लंबाई बोले पैदा हुआ किस साल में
देश सेवा का सोचा………..

रहा न गया तो सर से पूछा क्या है मेरी कमजोरी
लगता है तू नाटा जैसे तलवार के आगे छुरी
नाटा वाटा क्या होता है फंस गया किस जंजाल में
देश सेवा का सोचा…………!!!!

सुनिल गोस्वामी

Language: Hindi
2 Likes · 275 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
Ashwini sharma
5) “पूनम का चाँद”
5) “पूनम का चाँद”
Sapna Arora
इन रास्तों को मंजूर था ये सफर मेरा
इन रास्तों को मंजूर था ये सफर मेरा
'अशांत' शेखर
योग का एक विधान
योग का एक विधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
राम की आराधना
राम की आराधना
surenderpal vaidya
जीने दो मुझे अपने वसूलों पर
जीने दो मुझे अपने वसूलों पर
goutam shaw
मेरी कहानी मेरी जुबानी
मेरी कहानी मेरी जुबानी
Vandna Thakur
गर लिखने का सलीका चाहिए।
गर लिखने का सलीका चाहिए।
Dr. ADITYA BHARTI
"प्रत्युत्पन्न मति"
*Author प्रणय प्रभात*
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
Rj Anand Prajapati
मेरी अंतरात्मा..
मेरी अंतरात्मा..
Ms.Ankit Halke jha
जौदत
जौदत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सुबह की एक कप चाय,
सुबह की एक कप चाय,
Neerja Sharma
वह मेरे किरदार में ऐब निकालता है
वह मेरे किरदार में ऐब निकालता है
कवि दीपक बवेजा
चाय कलियुग का वह अमृत है जिसके साथ बड़ी बड़ी चर्चाएं होकर बड
चाय कलियुग का वह अमृत है जिसके साथ बड़ी बड़ी चर्चाएं होकर बड
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
2476.पूर्णिका
2476.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
gurudeenverma198
बेमौसम की देखकर, उपल भरी बरसात।
बेमौसम की देखकर, उपल भरी बरसात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (3)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (3)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तेज दौड़े है रुके ना,
तेज दौड़े है रुके ना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
किरदार अगर रौशन है तो
किरदार अगर रौशन है तो
shabina. Naaz
*आया फागुन माह (कुंडलिया)*
*आया फागुन माह (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
रविवार को छुट्टी भाई (समय सारिणी)
रविवार को छुट्टी भाई (समय सारिणी)
Jatashankar Prajapati
विद्या देती है विनय, शुद्ध  सुघर व्यवहार ।
विद्या देती है विनय, शुद्ध सुघर व्यवहार ।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
गीतिका ******* आधार छंद - मंगलमाया
गीतिका ******* आधार छंद - मंगलमाया
Alka Gupta
हृदय परिवर्तन जो 'बुद्ध' ने किया ..।
हृदय परिवर्तन जो 'बुद्ध' ने किया ..।
Buddha Prakash
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
"तवा"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ (ममता की अनुवाद रही)
माँ (ममता की अनुवाद रही)
Vijay kumar Pandey
Loading...