सूर्य का अस्त होना
सूर्य का अस्त होना
नेपथ्य की ओर जाना
एक सबक है अपने आप में
मुस्कुराते हुए अस्ताचल को जाना उसका
रात के अंधेरे में खो जाना उसका
और हमें समझना उसका
कि, हर उदय को
अस्त हो जाना है
कि हर सुबह को
साम में बदल जाना है
हर सुबह फिर से नभ पे
उग आना उसका
मधुर स्वप्न से
हमें जगाना उसका
हंसते हुए आसमां के आंगन में
ऊदकना फुदकना उसका
हमारे-तुम्हारे आंगन में
हर सुबह विजयपर्व मनाना उसका
सब सबक है, हमारे-तुम्हारे लिए
कि कुछ भी सदा के लिए नही होता
दिन होता है तो रात नही होता
रात होने से चमकता सुबह कभी नही खोता
…मुग्द्धा सिद्धार्थ
1.1.1999