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20 Jun 2020 · 1 min read

सुमुखि सवैया

#प्रियतमा_द्वारा_मनुहार
सुमुखि सवैया = जगण X 7 + लघु + गुरु
या, । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ। । ऽ
( ०१ )

कहे हम से पथ ठीक नहीं, तुम पंथ मृषा चलना न कभी।
दिवाकर हो मम जीवन में, निशिवासर हो ढलना न कभी।
सदा कहती उर देव अहो ! हिय मंदिर से टलना न कभी।
करूँ नित वंदन वल्लह हे ! धर मार्ग बुरा छलना न कभी।।

( ०२ )

कहें सजनी सुन लो हम से, मम जीवन में उजियार भरो।
सुहाग बने अब साथ रहो, रह दूर नहीं अगियार भरो।
शुभे ! तुम ही इस जीवन में, हरबार सदा शुभ प्यार भरो।
अहो ! सजना मनमीत सुनो, बन प्रीत सदा भरमार भरो।।

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 2440 Views
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