Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2017 · 1 min read

सुन ए खुशी,

सुन ए खुशी,
बातें दिल की जों तेरे लबों पे आजाएं !!
तो मेरा इश्क सोने पे सुहागा हो जाए ।

हां दो घड़ी तू जो पास आ जाए
जीस्त अपनी भी फिर संवर जाए।

काश! नज़रों से नज़रें मिल जाएं
भेद खुद ही सनम का खुल जाए।

काश! नीलम ही हो उनके ख्वाबों में
जिंदगी बन सोने पे सुहागा मुस्कुराए।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
235 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ,
अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ,
Shreedhar
हे आशुतोष !
हे आशुतोष !
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
💐प्रेम कौतुक-486💐
💐प्रेम कौतुक-486💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है - ये सिर्फ किस्से हैं
रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है - ये सिर्फ किस्से हैं
Atul "Krishn"
जैसी सोच,वैसा फल
जैसी सोच,वैसा फल
Paras Nath Jha
I lose myself in your love,
I lose myself in your love,
Shweta Chanda
लहर आजादी की
लहर आजादी की
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
यकीन
यकीन
Dr. Kishan tandon kranti
प्यारा भारत देश है
प्यारा भारत देश है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
शादी की उम्र नहीं यह इनकी
शादी की उम्र नहीं यह इनकी
gurudeenverma198
कितनी आवाज़ दी
कितनी आवाज़ दी
Dr fauzia Naseem shad
फेसबुक गर्लफ्रेंड
फेसबुक गर्लफ्रेंड
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*गोरे-गोरे हाथ जब, मलने लगे गुलाल (कुंडलिया)*
*गोरे-गोरे हाथ जब, मलने लगे गुलाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मां
मां
Monika Verma
अफसोस-कविता
अफसोस-कविता
Shyam Pandey
पथ प्रदर्शक पिता
पथ प्रदर्शक पिता
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दिल के अरमान मायूस पड़े हैं
दिल के अरमान मायूस पड़े हैं
Harminder Kaur
पुरानी ज़ंजीर
पुरानी ज़ंजीर
Shekhar Chandra Mitra
दिल लगाएं भगवान में
दिल लगाएं भगवान में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
माना दौलत है बलवान मगर, कीमत समय से ज्यादा नहीं होती
माना दौलत है बलवान मगर, कीमत समय से ज्यादा नहीं होती
पूर्वार्थ
बेशक नहीं आता मुझे मागने का
बेशक नहीं आता मुझे मागने का
shabina. Naaz
"आंधी की तरह आना, तूफां की तरह जाना।
*Author प्रणय प्रभात*
दो धारी तलवार
दो धारी तलवार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
2322.पूर्णिका
2322.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
चौमासा विरहा
चौमासा विरहा
लक्ष्मी सिंह
चल अंदर
चल अंदर
Satish Srijan
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
sushil sarna
शृंगारिक अभिलेखन
शृंगारिक अभिलेखन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पुस्तक समीक्षा - अंतस की पीड़ा से फूटा चेतना का स्वर रेत पर कश्तियाँ
पुस्तक समीक्षा - अंतस की पीड़ा से फूटा चेतना का स्वर रेत पर कश्तियाँ
डॉ. दीपक मेवाती
पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।
पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।
Acharya Rama Nand Mandal
Loading...