सुनो रे बहुजनों…
सुनो रे बहुजनों …
बाबा भीम जन्म न लेंगे अब दुबारा ..2 सुनो रे बहुजनों…
न कोई अब तुम्हारा दुःख-दर्द सुनेगा,
आफ़त तुम्हारी को अब न कोई कांशीराम सहेगा ।
निकलो घरों से …2
क्या स्वाभिमान मरा है तुम्हारा ….सुनो रे बहुजनों..2
महापुरुषों ने तुम्हारे बहु कष्ट सहे हैं,
ख़ातिर समाज की वो.. मनु जग में जिये हैं ।
मनू व्यवस्था से लड़कर …2
जीवन है बहुजन का सँवारा….सुनो रे बहुजनों…2
छोड़कर अशिक्षा को शिक्षित बनो तुम,
त्याग पाखंड को शरण बुद्ध की चलो तुम ।
धर्म जो घृणा रखता है…2
क्या है उससे लगाव तुम्हारा….सुनो रे बहुजनों …2
राह भीम की कांशीराम ने पकड़ी,
बहुजन की नब्ज़ थी मनुवाद से जकड़ी ।
किया सफ़ाया राज बहुजन से कराया…2
भूल गए क्यूँ ध्यान किधर तुम्हारा ….सुनो रे बहुजनों..2
जिस धर्म में अपना सब कुछ खोया,
उसे त्याग अपनाओ तुम धर्म बुद्ध का ।
मिलेगा जीवन भर सम्मान..2
बुद्ध धर्म मैं मिलेगा सम्मान हमारा …सुनो रे बहुजनों…2
बाबा भीम जन्म न लेंगे अब दुबारा…2
सुनो रे बहुजनों…2
आर एस बौध्द “आघात”
अलीगढ़