सुनो यशोधरा…
#सुनो_यशोधरा_तुम_माता_और_मैं_तो_पुत्र_हुआ_हूं
सुनो यशोधरा…
वो जो समय का योग बना था
आधी रात तुम्हें और राहुल को छोड़ जब मैं गया था
प्रेम का बिछोह नहीं… उसी समय तो मैं
सिद्धार्थ से बुद्धत्व की ओर चला था
प्रेम क्या हमारे बालक और हम में ही खड़ा था
क्या जड़ चेतन में कुछ भी नहीं बचा था
यही सोच मैं अकेले ही आधी रात चल पड़ा था
जीवन – मरण सुख – दुख से मुक्ति के मार्ग ढूंढने मैं गया था
सुनो यशोधरा मैं निर्वाण की तलाश में चला था
अब मैं सिद्धार्थ नहीं बुद्ध हुआ हूं
तुम माता और मैं तो पुत्र हुआ हूं
अब प्रेम रहा न तुम तक सीमित
संपूर्ण जगत का अब प्रेमी हुआ हूं
सुनों यशोधरा मैं मुक्ति के मार्ग पे खड़ा हूं
~ सिद्धार्थ