Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jul 2021 · 3 min read

सुनो बहू क्या लाई हो!

✍️उम्मीदों के ताने बाने से बुनी जिंदगी, कपड़ा बनाते समय ताने बाने का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिंदगी भी कुछ इसी तरह है। सुख_दुख, खट्टा_मीठा, अच्छी _बुरी, ये सभी जिंदगी की यादों के ताने बाने हैं। इन्हीं से जिंदगी की चादर बुनी गई है। ऐसी ही तानों बानों की एक चादर _____
शादी को कितना वक़्त गुजर चुका है… फिर भी मायके से ससुराल वापसी पर… सासू मां और संग सहेलियां पूछने लगती हैं अक्सर …. मायके गई थी क्या क्या लायी… एक तो वैसे ही मायके से आकर मन वहीं के गलियारों में भटकता रहता है… उस पर सभी का बार बार पूछना, हो सकता है ससुराल के हिसाब से सामान कम हो, लेकिन जो मैं अपने साथ लाई हूं उसे कैसे दिखाऊं ? क्या दिलाया भाई ने, भाभी ने भी तो कुछ दिया ही होगा… अब भाई के स्नेह को कैसे दिखाऊँ … कैसे समझाऊं। भाभी के लाड़ को कैसे तोल के बताऊँ … दिन भर तुतलाती, बुआ बुआ कह कर मेरे पीछे भागने वाली प्यारी भतीजी, गोद में चढ़ने को आतुर, उस प्यार को किसे समझाऊं? … छोटी बहन जो ना जाने कब से मेरे आने का इंतजार कर रही थी! अपने मन की बातें सुनाने को, मेरी सुनने को बेताब। मेरी नई नई साड़ियां पहन कर, रोजाना इतराती आइने के सामने खड़ी हो जाती है! लेकिन ससुराल आते समय अपनी जेब खर्च के बचाए पैसों से, मेरे लिए नई ड्रेस रखना नहीं भूलती, कहती है, कोई नहीं, कहीं घूमने जाओ तो पहनना। उसे भी नहीं समझा पाती, कहां जाऊंगी मैं घूमने!, पर ये उसके प्यार का तरीका है। और पापा, उनके तो सारे काम ही पोस्टपोंड कर दिए जाते हैं, बस, पापा और मेरी बातें जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं। मां और दादी कहती हैं, चहकने दो इसे, फिर ना जाने कब आएगी। घर का सन्नाटा अब टूटा है। उनका तो रसोई में से ही निकलना नहीं होता। आई तो मैं अकेली ही हूं पर लगता है, घर में त्यौहार चल रहा है। अब बताइए उस जश्न, खुशी की पोटली को कहां से खोलकर दिखाऊं! उस के लिए आंखें भी तो मेरी वाली होनी चाहिए ना। भौतिक सामान को उनकी बींधती आंखें। उफ़! अब परवाह करना छोड़ दिया है। उस प्यार को जब भी पैसे, उपहारों से तोलेंगे, इस प्यार का रंग फीका पड़ जाएगा … स्नेह के धागों से बुनी चादर हमेशा मेरे सर पर बनी रहे, इससे ज्यादा मुझे कुछ चाहिए भी नहीं … पीहर में आकर अपना बचपन फिर से जीने आती हूँ मैं बस! इस लेनदेन के चक्कर में तो मायके जाना भी गुनाह सा लगता है …

भूल जाती हूँ तब जिंदगी की #थकान को … फिर से तरो ताज़ा होकर लौटती हूँ, नई ऊर्जा के साथ, अपने आशियाने में और ससुराल में सब, संग सहेलियां पूछती हैं क्या लाई दिखा ?… अब की बार सोच लिया है, कह दूंगी हां लाई तो बहुत कुछ हूं, पर वो आंखें भी तो होनी चाहिए, देखने के लिए। और वो आंखें मेरे पास हैं, उनसे मैं देख ही नहीं, उस प्यार की गरमाहट को महसूस भी कर पाती हूं। वो सब उनको नहीं दिखा पाती, दिखाऊँ भी कैसे … वो तो दिल की तिजोरी में बन्द है … जब भी उदास होती हूं, खोल लेती हूं, उस तिजोरी के बन्द दरवाजे… और हो जाती हूं, फिर से तरोताजा…
___ मनु वाशिष्ठ

2 Likes · 2 Comments · 556 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manu Vashistha
View all
You may also like:
चिंता
चिंता
RAKESH RAKESH
दिल जीत लेगी
दिल जीत लेगी
Dr fauzia Naseem shad
शब्द-वीणा ( समीक्षा)
शब्द-वीणा ( समीक्षा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"मैं एक कलमकार हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा तृतीय अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा तृतीय अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जो लोग बिछड़ कर भी नहीं बिछड़ते,
जो लोग बिछड़ कर भी नहीं बिछड़ते,
शोभा कुमारी
मध्यम वर्गीय परिवार ( किसान)
मध्यम वर्गीय परिवार ( किसान)
Nishant prakhar
Finding someone to love us in such a way is rare,
Finding someone to love us in such a way is rare,
पूर्वार्थ
मोक्ष
मोक्ष
Pratibha Pandey
किसी की हिफाजत में,
किसी की हिफाजत में,
Dr. Man Mohan Krishna
सिंह सा दहाड़ कर
सिंह सा दहाड़ कर
Gouri tiwari
मेरे अधरों पर जो कहानी है,
मेरे अधरों पर जो कहानी है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
विवेकवान मशीन
विवेकवान मशीन
Sandeep Pande
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
संवेदना ही सौन्दर्य है
संवेदना ही सौन्दर्य है
Ritu Asooja
जिंदगी जब जब हमें
जिंदगी जब जब हमें
ruby kumari
देखिए रिश्ते जब ज़ब मजबूत होते है
देखिए रिश्ते जब ज़ब मजबूत होते है
शेखर सिंह
बाज़ार से कोई भी चीज़
बाज़ार से कोई भी चीज़
*Author प्रणय प्रभात*
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
शॉल (Shawl)
शॉल (Shawl)
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
* मुस्कुराते नहीं *
* मुस्कुराते नहीं *
surenderpal vaidya
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अन्याय के आगे मत झुकना
अन्याय के आगे मत झुकना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
थक गये है हम......ख़ुद से
थक गये है हम......ख़ुद से
shabina. Naaz
💐प्रेम कौतुक-427💐
💐प्रेम कौतुक-427💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*बुरे फँसे कवयित्री पत्नी पाकर (हास्य व्यंग्य)*
*बुरे फँसे कवयित्री पत्नी पाकर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
हट जा भाल से रेखा
हट जा भाल से रेखा
Suryakant Dwivedi
सावन के झूलें कहे, मन है बड़ा उदास ।
सावन के झूलें कहे, मन है बड़ा उदास ।
रेखा कापसे
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
gurudeenverma198
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
Loading...