— सुना मैने भी है —
कुछ दिनों से
सुन मैं भी रहा हूँ
की किसान आन्दोलन नही
यह आतंकवादी हैं
यह बरगलाए हुए हैं
यह जान बुझ के विरोध कर रहे हैं
यह विरोधिओं की चाल है
क्या
इन सब के पास समय फालतू है
क्या यह सब घर से बेघर हैं
या इनके माई बाप नही
या इनके पास कोई दिमाग नही
या इनके कोई आँख नही
जब सरकार किसी के जेब का नही छोड़ती
तो आम इंसान कैसे छोड़ देगा
टेक्स टेक्स और टेक्स कब तक लगेगा
कैसे कोई इंसान जीवन जी पायेगा
हर चीज तो अति करती है
चाहे कोई भी रह रही हो सरकार
बातें तब नही आती हैं किसी को
जब तक न उठा ले कोई हथियार
अजीत कुमार तलवार
मेरठ