सुख समृद्धि आए
सुख शांति मिलते जहाँ,वहीं स्वर्ग है यार।
तनावग्रस्त जीवन तो,प्रथम नरक का द्वार।।
प्रथम नरक का द्वार,प्रेम भरे गीत गाओ ।
हाथ से हाथ यार,रे दिल से दिल मिलाओ।
सुन प्रीतम की बात,प्यार निकले खोलो मुख।
तभी आए घर में,भागकर भैया रे सुख।
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दीपक जलें शंख बजें,हो धन की वर्षा।
सुख समृद्धि मिले भैया,मिले तन-मन हर्षा।।
मिले तन-मन हर्षा,दिवाली मुबारक मित्र।
हर्षित रहो सदैव,मनमोहक-सा ज्यों इत्र।
सुन प्रीतम की बात,यश मिले तुम्हें व्यापक।
गुणों से भर जाओ,ज्यों रोशनी से दीपक।
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फ़रेब कर खुश न होना,ये बेवकूफ़ी है।
फ़रेबी को वफ़ा नहीं,न ही मिले खुशी है।।
न ही मिले खुशी है,अभिमान तू न कीजिए।
वफ़ा हेतु वफ़ा है,दग़ा से दग़ा लीजिए।
सुन प्रीतम की बात,न करना कभी रे ऐब।
विश्वास हद में कर,कदापि न करना फ़रेब।
राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
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