सुख दुःख दिखे एक ही साथ मे।
आसमां तक चमक आ गयी सूर्य की
अब अंधेरा धरा पर नही रूक सका
सर मे सरसिज मुदित हो उठे प्रात मे
दुख मे झुलसी कुमुदनी बात ही बात मे।
ये तो ईश्वर कैसी की कारसाजी रही
दोनो सुख दुख दिखे एक ही साथ मे।
आज दुखित कुमुदनी सोच मे पडी
कितनी खुश थी मै देखो बीती रात मे।