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23 May 2020 · 1 min read

सुख के साथी!

सुख की चाशनी दूर तलक, रहती खुशबू महकाये।
सुख के साथी भवरें से, देख बिपद को टर जाये।।

कौन मोल ले जोर झमेले, हानी लाभः जो तकते हों।
बिना लोभ बतलाओ जो, चार कदम संग चलते हों।।

नही कायदे बिना फायदे, घर कौन मुसीबत लाये।।
सुख के साथी भवरें से, देख बिपद को टर जाये।।

मतलब के संसार में, बिन मतलब के सभी पराये हैं।
सुख में जो साथी बनते, दुःख में वह दूरी बनाये हैं।।

जोड़ के रिश्ते कदम कदम, अपनो को छल जाये।
सुख के साथी भवरें से, देख बिपद को टर जाये।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २३/०५/२०२०)

Language: Hindi
1 Like · 304 Views
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