सुख की कल्पना कोरी
सुख की कल्पना है कोरी,
दिन के बाद रात है अंधेरी,
मन की बात ये मन न माने,
तन की सुध ये तन न जाने,
कहाँ से ये रोग चले आते,
अपने ही हमको छोड़ जाते,
दुख के भंवर में कोई न सहारा,
खुद के दर्द पर खुद का पहरा,
जग है अति विशाल,
जलती ज्ञान मशाल,
संयम को कर धारण,
मंजिल पर रख चरण,
जगा तू आत्मविश्वास,
छोड़ निराशा की श्वास,
स्वीकार कर तू ये लोरी,
सुख की कल्पना है कोरी,
।।।जेपीएल।।।